Saturday, March 28, 2015

एक अनोखी कहानी किन्तु सच्ची (पार्ट ९ )

उसके बाद बीच वाले ने अपने जान पहिचान के गुंडों से जेल के अंदर ही भरसक प्रयत्न किये परन्तु  बड़े को पिटवाने और ब्लेड लगवाने के लिए भरसक प्रयत्न किये परन्तु किसी न किसी के सहयोग से हर बार बच जाता था क्योँकि जेल में अपने अच्छे कार्यों और अपने अच्छे व्यवहार के कारण  सभी अफसर तथा कैदियों से उसकी अच्छी जान पहिचान हो गई थी ,बड़े को कवितायें लिखने और सम्मेलनों में कविता पढ़ने का शौक था ,इसी प्रकार के कवि सम्मलेन जेल में भी हर महीने एक दो बार हो जाते थे जिनमे बड़े की कविताएं सभी कैदी और अफसर बड़े ही दिल से सुनते थे क्योँकि वो सभी कविताएं कैदीयोंं,विचाराधीन कैदियों और अफसरों के ऊपर ही होती थी और कुछ अपने कारण खुद  के दुःख सुख की भी ,कहने का तातपर्य है की सभी लोग बड़े के मुरीद हो गए थे ,और जेल में रहकर क्षात्रो को पढ़ाना और समय समय पर उनकी सहायता कर देना या जेल में उनके लिए किये हुए सुधारों में अफसरों से मिलकर कुछ ना कुछ करा देना शामिल थे  ,और एक समय तो ऐसा आया कि जेल में रहने वाले बड़े बड़े ,और प्रसिद्ध कैदी भी उनके पास आयकर धोक करने लगे ,जिसके कारण फिर  कोई भी बड़े से पंगा लेना ही नहीं चाहता था ,बल्कि एक बार एक विचाराधीन कैदी ने बड़े से कुछ उलटा बोल दिया   फिर तो दसियों कैदी और अफसरों ने उसको इतना मारा की बड़े ने ही उसे छुड़ाया ,तब उसने भी उसके भाई का ही नाम लिया ,बड़ा अंदर रहकर बिना पढ़े लिखे कैदियों के केसेस की चाजर्शीट पढ़कर उनको समझाता था तो सभी प्रभावित थे ,वो बड़े की खूब सेवा करते जैसे  की मालिश  आदि  करना ,उनको खाना पानी laakar देना ,कपडे धो देना आदि आदि 

लगभग १६ माह जेल में रहने के बाद एक दिन जज साहब ने खुद ही बेल दे दी ,और फिर बड़ा घर वापस आ गया ,बड़ा बहुत रोया  था उस दिन उसे ऐसा लगा जैसे की नया जन्म मिला हो और उस दिन दुःख के कारण बड़े के भाइयों माँ बहन के घर रोटी भी नहीं पकी ,सम्पूर्ण परिवार दुखी हो गया किबड़ा जेल से छूटा क्योँ ?उसके बाद लगभग २ माह तक तो ऐसा लगा की जैसे उसके मस्तिष्क ने काम ही करना बंद कर दिया हो ,फिर कहीं नार्मल होने के बाद अपना काम काज देखना शुरू किया जो सबकुछ समाप्त हो चुका था उसको किसी प्रकार पटरी पर लाने की कोशिश करने लगा ,और जितने भी सेल्स टैक्स ,इनकम टैक्स D D A या M C D  के केसेस थे सबको सही कराता कराता वो लगभग टूट सा चुका था क्योँकि जितना भी पैसा घर में या पार्टीज से लेना था वो या तो खत्म हो चुका था अथवा कुछ मर चुका था ,या मुकदद्मों में वकील आदियों को देने में काम आ चुका था ,पर ईश्वर की कृपा से पैसे की जरूरत भी पूरी होती जा रही थी कॉिम ना कोई हेल्प कर ही देता था ,
पिछले  दो वर्षों में बैंक ब्याज काफी हो चुका था ,अत; बैंक वालों ने मकान की नीलामी की घोषणा कर दी ये बात बीच वाले को पता थी क्योँकि उसी ने बैंकर्स को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया था वरना वो कुछ भी नहीं कह रहे थे वो कह रहे थे की आराम से थोड़ा थोड़ा देते रहो ,पर अचानक नीलामी की सुन बड़े के पैरों के नीचे से मिटटी निकल गई ,यानी की बनी बनाई इज्जत मिनटों में खत्म होने वाली थी परन्तु फिर एक मसीहा आ गया जिसने उस बैंकर्स को पैसे dekar नीलामी रुकवाई और फिर कही जान छूटी |



Thursday, March 26, 2015

एक अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ८ )

लगभग शाम के ६ बजे के करीब रोहिणी जेल में प्रवेश करने के बाद और जेल की कुछ खाना पूर्ती यानी कि कैदी के कुछ कागजात ,स्वास्थ्य जांच ,आदि करने के बाद बड़े को जेल के वार्ड  २, जिसे मुलाहजा वार्ड भी कहते हैं में एक चटाई और एक दरी के साथ प्रवेश दे दिया गया ,और फिर उस दिन जितने भी कैदी थे जो कि लगभग १० थे सभी को गमा गरम खाना दे दिया गया और फिर बड़ा एक कमरे में जिसमे कुछ और  भी कैदी थे  जाकर लेट गया ,और वार्डन ने सो जाने को बोला ,परन्तु उसकी आँखों में नींद कहा ,भविष्य अपना और पत्नी तथा ३ पुत्रियों बार बार आँखों और दिमाग में कौंधता रहा ,और उसी रात को वो कितनी ही बार रोया भी ,खाली ये सोचकर कि जिनके लिए उसने अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया था सब को सभी कुछ दिया दूकान ,फैक्टरी ,घर ,शादियां और जो भी उन्होंने चाहा जैसे चुनावों में सांसद और विष्ायक के लिए भी उनको चुनाव लड़ाकर बनाने कि कोशिश कि और आज उन्होंने ही उसको मिलकर जेल भेज दिया और उसकी सगी माँ और बहन और छोटा भाई भी उसी का साथ दे रहे थे ,क्योँकि सभी मिलकर बड़े से उसके मकान को  छीनना चाहते थे ,बार बार बच्चो का चेहरा सामने आ जाता और कभी सोचता कि यदि उसे जेल में कुछ हो गया तो उसके बच्चों का क्या होगा ,पत्नी का क्या होगा ,बहुत अच्छी तरह चलता व्यापार भी खत्म हो जाएगा ,वैसे भी बड़े पिछले कुछ वर्षों में बीच वाले कि कमीनी हरकतों को अच्छी तरह देख लिया था इसलिए उसे और ज्यादा डर लग रहा था ,इसी प्रकार एक दुसरे से बात करते करते और अपने दुःख सुख सुनाते सुनाते रात व्यतीत हो गई ,सुबह को यद्यपि  चाय वगैराह आई थी परन्तु उसने नहीं पी ,जेब में पैसे नहीं थे क्योँकि वहां अंदर एक दूकान  भी थी  जिस पर चाय कॉफी मिलती थी ,तभी एक कैदी ने आकर बड़े कि जेब में कुछ टोकन डाले और कहा कि आप जो भिो कुछ खाना पीना चाहते हैं खा पी लीजिये ,आखिर उसने कुछ चाय वगेरह पी ली ,और फिर घर से उसके बच्चे भी मिलने आ गए जो कि घर से कपडे और पैसे आदि और घर का खान दे गए और मुलाक़ात भी कर ली ,और फिर ये सिलसिला सप्ताह में दो बार चलता रहा ,बीबी ,बच्चों से मिलकर दिल खुश हो जाता था ,और फिर बच्चों ने एक और अच्छा वकील करके बेल के लिए कागज लगा दिए परन्तु बड़े और उसके I O के कारण बेल ना मिली ,फिर एक बार और बेल लगा दी ,तब भी उसने बेल ना लेने दी और शर्ते लगा दीं ,यानी कि डिमांड खड़ी कर दी कि या तो आधा मकान दो या फिर ५ करोड़ रुपया ,वरना जेल से बाहर नहीं आने देगा ,और फिर एक बेल कि अर्जी हाई कोर्ट में भी लगा दी तो उसने वहाँ भी जज के सामने नई नई बातें खड़ी करके ऐसा कुछ लगवा दिया कि ताकि अगले १५ माह तक बेल ही ना हो सके ,अब तो बड़े ने बेल के बारे में सोचना ही छोड़ दिया और हालात  से समझौता कर लिया कि अब वो तभी बेल लेगा जबकि जज खुद ही कहेगा कि बेल ले लो ,हाँ एक बात और ,
उस दिन बड़े को जेल भेज देने के बाद सम्पूर्ण परिवार ने घर में दिवाली मनाई गई गई के दीपक जलाये और मिठाई खाई और रिश्तेदारों को भी भेजी |
        तभी एक दिन पता चला कि उसने बड़े को साले को भी झूठा गवाह घोषित कराकर और I O को रूपये चढ़ाकर उसे भी रोहिणी जेल भेज दिया ,और जो बड़े का मैनेजर था उसे भी द्वारा धमकाकर भगा दिया और जितने भी आदमी थी सभी को जेल में फंसाने का डर दिखाकर भगा दिया ,और जो भी रिश्तेदार मिलने आता उसके साथ भी मारपीट करने लगा ,इसके पीछे उद्देश्य था कि जब घर में कोई आदमी ही नहीं रहेगा तो ये तीनो लडकियां और उसकी पत्नी क्या करेगी फिर तो वो जो भी चाहेगा उनको करना पडेगा ,और फिर घर वाले सभी मिलकर बड़े कि पत्नी और पुत्रियों को गाली गलोच मारपीट उलटा सुल्ता जो भी दिल में आता कहना ,परेशान करने लगे ,परन्तु बच्चों ने हार नहीं मानी तो वो उनपर बे मतलब के लांछन आदि जैसी गलत बातें और हरकत करने लगे ,अब सिवाय पड़ोसियों को उसके बच्चों को कोई सांत्वना देने वाला नहीं था ,यदि थे तो बड़े के साढू,सालियां आदि थे जो सभी प्रकार से उनकी मदद कर रहे थे ,उनको भी वो जेल में फंसाने कि धमकियां देने लगे और कहते कि ये लोग ही फैसला नहीं करने दे देते परन्तु वो उसकी गीदड़ भभकियों से नहीं डरे |
        सभी आदमियो के भाग  जाने और बड़े के साले को जेल भेजने के बाद तो व्यापार भी चौपट हो चुका था क्योँकि कोई अब काम करने वाला ही नहीं था ,बैंक का ब्याज वगैराह भी चढ़ने लगा ,हालात ख़राब होते जा रहे थे जिसे देख देख कर ये लोग घर में दीवालियाँ मना रहे थी और सभी पड़ोसियों के घर  घर जाकर नई नई कहानी सुनाते और दिखाते कि वो तो फैसला करना चाहते हैं पर वो  खुद ही नहीं करता अब तो जब तक हमारी बात नहीं मानेगा जेल में ही सड़ेगा और पता नहीं क्या क्या कहते ,पर कोई भी उनकी बातों में आनंद नहीं लेता था क्योँकि वो सभी उसकी फितरत को जानते थे ,फिर उसने लड़कियों पर लड़ाई झगडे और पता नहीं किस किस भांति कि झूठी सच्ची बाते लांछन लगा लगा कर पुलिस केस दर्ज करवाने कि भी कोशिश कि और घर में बच्चों के साथ मारपीट तो आम बात हो गई ,बच्चों पर झूठा चोरी का केस बनवाने कि भी कोशिश कि ,और तो और लड़कियों के पीछे गुंडे लगा दिए ,जहां वो सर्विस करती थी वहाँ जाकर शिकायते करने लगे और बताते कि इनका बाप जेल में पड़ा है ,आप इनको मत रखिये और नौकरी से जितनी जल्दी हो सके हटा दीजिये ,ऐसा वो इस लिए कर रहा था कि यदि पैसे से ही दुखी  होंगी तो और जल्दी उसकी बात मानेंगे ,उनको यहां तक बोल दिया कि जेल में उसके बहुत जानने वाले गुंडे ,मवाली है जिनसे मैं उनके बाप को जेल में ही मरवा भी सकता हूँ ,और वहाँ के जेलर आदि भी उसके यार दोस्त हैं ,उनतक उसकी पूछ है वो उसके साथ कुछ भी करा सकता है ,इसी प्रकार डराने धमकाने लगा ,पूरे घर कि निगरानी रखता कि कौन घर में आ रहा है या जा रहा है उनके पीछे खुद या अपने दोनों लड़कों को लगा देता और कहता कि यहां मत आया करो वरना आपके साथ कुछ भी हो सकता है ,पूरा गुंडई राज बना दिया पर कहावत है कि जिसका हो मौला उसका क्या करेगा भोला "फिर बैंक में पहुंचकर उनके साथ नए नए षणयंत्र रचने कि कोशिश करने लगा पर उस वक्त के मैनेजर ने तो उसको मुंह नहीं  लगाया ,
उसके बाद उसने इनकमटैक्स ,सेल टैक्स ,D D A ,M C D ,बैंक के उच्च अधिकारीयों तक को शिकायते कर दी और प्रितिदिन उनसे मिलकर कुछ ना कुछ षणयन्र रचाने लगा उसका एक D D A का प्लाट कैंसिल करा दिया क्योँकि पीछे कोई करने वाला नहीं था और फिर एक डिप्टी डायरेक्टर ने बिना सुनवाई या नोटिस के कैंसिल कर दिया ,उसकी बड़ी बेटी के खिलाफ कोई झूठा कागज लगाकर F I R दर्ज कराने कि कोशिस भी की ,और हो भी जाती यदि उनका कोई रिस्तेदार पुलिस A CP से जाकर ना मिलता और फिर जो होता वो तो भगवन ही जाने |बड़े कि पत्नी और पुत्रियों को तीनो बाप बेटों ने मिलकर रोड पर खड़े करके पीटा और पुलिस स्टेशन जा और इंस्पेक्टर को पैसे चढ़ा कर उलटा उनके खिलाफ ही कलंदरे  बनवा दिए ,पर फिर D C P के आदेश से वो रद्द कर दिए गए |















Friday, March 13, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ७ )

उसके बाद बड़ा किसी की सिफारिस से दिल्ली के सचिव R N SHRMA से मिला ,थोड़ी सी जान पहिचान करने के बाद ,और बड़े किसके द्वारा उनके पास भेजा गया आदि पूछकर उन्होंने काम के बारे में पूछा तो बड़े ने बताया की सिग्नेचर बदलवाने के काम के बारे में बताया की किस प्रकार उसके भाई ने अपने किये सिग्नोर F S L  से बदलवाए तो उन्होंने स्वीकारा की या काम शास्त्री जी की सिफारिस पर उनके द्वारा ही कराया गया था ,और तभी उन्होंने बड़े के सामने ही F SL के तत्कालीन डायरेक्टर MR गोयल से फोन पर बात की और समस्या का समाधान पूछा ,पर उन्होंने उस वक्त ये कहकर मना  कर दिया की अगर हम एक रिपोर्ट को ठीक करेंगे तो हमारे ऊपर सम्पूर्ण ब्लेम आएगा इसलिए वो माफ़ी चाहते हैं ,मना हो जाने के बाद ही उन्होंने बताया की आपका भाई तो केंद्रीय ग्रह मंत्री MR P CHIDMBRAM के पास भी जा चूका है और शायद वहां से एक पत्र E O W को इशू भी हो चूका है यदि आपने गिरफ्तारी से बचना है तो एक या दो दिन में मिल लो ,और उसके बाद बड़े ने पत्र वगैराह तैयार करके तीसरे दिन मिलने जाना था ,परन्तु तभी तीसरे दिन सुबह संजीव त्यागी I O पूरे लव लश्कर यानि की १५ १६ सिपाहियों सहित गिरफ्तार करने आ गए .सुबह का ७ बजे का समय था बड़ा सोकर ही उठा थातो बड़े ने पूछा की इतने पुलिस वाले लाने क्या जरूरत थी तो उसने बताया कि आपके भाई ने कहा था की तुम  क्षेत्र के बहुत बड़े बदमाश हो ,और गुंडे भी पाल रखे हैं कही आपके ऊपर हमला ना कर दें इसलिए पुलिस फ़ोर्स लेकर जाना
फिर बड़े ने I O से बात की तो उसने कहा की E O W उसको गिरफ्तार करना नहीं चाहती थी पर तुम्हारे भाई के द्वारा ग्रह मंत्री के पत्र के कारण मजबूरी में आपको उठाना पड़ रहा है और बोला की हम मजबूर हैं यदि आपको नहीं उठाया तो E O W के स्टाफ पर परेशानी आ जाएगी हलाकि हम सब और D CP OR A C P सभी जानते है कि ये मकान आपका ही है और आपपर झूठा केस जबरजस्ती बनवाया जा रहा है पर हमारी सरकार के सामने नहीं चल सकती इसलिए आप गिरफ्तारी हेतु तैयार हो जाओजिस वक्त बड़े ने गिरफ्तारी दी उस वक्त उसका भाई पड़ोसियों के घरों की काल बेल्ल बजकर बुला रहा था की देखो चौहान साहब गिरफ्तार हो रहे हैं ,परन्तु कोई भी उसके बुलाने पर नहीं आया क्योँकि वो सभी बड़े को भली भांति जानते थे इस को भी ,
इसके बाद चाय पानी पीने के बाद बड़ा खुद ही पुलिस की गाड़ी में जाकर बैठ गया और बाकी सभी पुलिस वाले चले गए और पुलिस बड़े वाले को लेकर पहले थाना रानी  बाग़  ले गई  वहां पर एक एप्लीकेशन पूरे ब्यौरे की बड़े से लिखवाई और उसके बाद उसेमेडिकल हेतु महाबीर अस्पताल ले जाया गया जहाँ उनका मेडिकल हुआ ,उसके बाद  थाना अशोक विहार ले गए ,वहां उन्होंने उनका डोसियर तैयार करवाया और फिर ले गए रोहिणी कोर्ट वहां अश्विनी कुमार इस दी एम के सामने पेश किया और वहां पहले ही बड़े के भाई ने ४ वकील खड़े कर रखे थे और बड़े के भी २ वकील थे जिन्होंने अश्विनी कुमार जी से बहुत कुछ कहा पर उसने अनसुनी कर के रोहिणी जेल भेजने का आर्डर कर दिया ,और अब शाम के ५ बज चुके थे तो I O संजीव त्यागी बड़े को अपनी ही गाडी से जेल ले गया और छोड़कर अपने घर चला गया |

Sunday, March 8, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ६ )

अब तो उसने बड़े और उसके परिवार को तरह तरह से प्रताड़ित करने लगा कभी बड़े का पीछा करना कभी उसकी लड़कियों का पीछा करना और बदमाशों को उन सभी के पीछे लगा दिया पर जिस पर ईश्वर की कृपा हो और सच्चा हो कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,आखिर तंग होकर बड़े ने सभी रिस्तेदार ,उसके और अपने दोस्त सबको बुलाया ,और मीटिंग्स की ,सभी ने उसे हर तरीके से समझाया की कुछ ले देकर भाई घर छोड़ दे परन्तु उसने सभी को धता बता दिया और जिसने भी समझाया  उसी  पर आरोप लगाता की शायद वो बड़े से कुछ माल खा रहा है ,अंत में पूरे समाज की मीटिंग बुलाई पर कोई नतीजा नहीं निकला ,उलटा पूरा मकान ही कब्जाने की धमकी देने लगा ,अंत में दुखी होकर बड़े ने कहा की अभी तक तो वो तुझे दे रहा था पर अब ना तो उसको एक रुपया ही देगा और नाहीं इंच भर जमीन ,और जो करना हो वो कर ले ,
इसी प्रकार २ साल यानी की सं २००५ और २००६ भी लड़ाई झगड़ों में ही बीत गए ,और फिर बड़े ने एक बोल्ड स्टेप उठाया की उसने मकान को फ्री होल्ड (रजिस्ट्री )करवाने की अर्जी लगा दी क्योँकि अब सर्किल  रेट और बढ़ने वाले थे ,आखिर २००६ के अंत में फ्रीहोल्ड हो गया ,तभी बड़े के बैंक का मैनेजर बोला की आप अपनी लिमिट आदि बनवा लो ताकि बिज़नेस करने में सुविधा हो जायेगी और काम भी ज्यादा करेंगे ,ईश की कृपा से २००७ मार्च में ४० लाख की लिमिट बड़े की फर्म के नाम सेक्शन हो गई और फिर उसने काम जोर शोर से  करना शुरू कर दिया बहुत काम होता देखकर बीच वाले और छोटे की आँखे फैलने लगी और फिर उन्होंने इधर उधर सूंघना शुरू कर दिया और एक दिन किसी बैंक के व्यक्ति ने उसे लिमिट के बारे में बता दिया ,फिर तो वो मानो पागल हो गया और पागलों जैसी हरकते भी करने लगा ,
फिर वो फ्रीहोल्ड  को कैंसिल कराने के प्रयत्न करने लगा और कोशिश सिफारिस कर उसने बड़े बड़े नेताओं जैसे P M  मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ,जैसे नेताओं के और मंत्रियों अर्जुन सिंह जी आदि के सिफारिशी पत्र लगाकर कैंसिल कराने में कामयाब हो गया ,और फिर एक दिन बड़े को फ्रीहोल्ड कैंसिलेशन का लेटर आ गया और फिर उसने बड़े और उसकी पत्नी और साले  के नाम की F I R  shastri जी की सिफारिस से एक दिल्ली सरकार के संयुक्त सचिव R N शर्मा के करकमलों के द्वारा F S L को प्रभावित कर नेगेटिव रिपोर्ट बनवा ली ,की वो साइन उसके नहीं है ,रिपोर्ट आने के बाद बड़े ने L G साहब से मिल कर उसके साइनों को किसी और लेब में भेजने को कहा और वो मान गए फिर वो रिपोर्ट पहले रिपोर्ट के साथ शिमला लेब  भेजी गई जहां फिर वो ही R N शर्मा की और मंत्री जी की सिफारिश काम कर गई और रिपोर्ट फिर नेगेटिव आ गई ,
और अब E O W ने अपनी कार्यवाही शुरू की और वो  कोर्ट  गए जहा कितनी ही सुनवाई होने के बाद जब उसका मन मर्जी जज आ गया जहां सिफारिश काम आई और जज ने बड़े और उसके साले की बैल अर्जी कैंसिल कर दी और उसकी पत्नी को बेल दे दी ,परन्तु इसके बावजूद भी E O W वालों ने बड़े को गिरफ्तार नहीं किया और  नाही उसके साले को भी ,बल्कि उसके बाद बड़े वाले उस समय के एडिशनल कमिश्नर को मिला तो उन्होंने गिरफ्तारी से मना कर दिया ,उन्होंने कहा की ब्लड रिलेशन में वो किसी को गिरफ्तार नहीं करते ,और उन्होंने बीच वाले को भी मना कर दिया तो फिर बीच वाल कुछ सिफारिशें लेकर तत्कालीन गृहमंत्री P ,CHIDMBRAM और उनके सेक्रेटरी A K SIGH  से मिला और एक लेटर E O W को बड़े वाले की  गिरफ्तारी हेतु भिजवाया |

Sunday, March 1, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ५ )

इन सभी बातों को लेकर कुछ झगड़ा फसाद भी हुआ क्योँकि उनसे पूछा गया की दसों वर्षों से आप लोग काम कर रहे हो और आज तक आपने कभी कहीं भी कोई खर्चा नहीं दिया तो तुम्हारा पैसा कहाँ गया ,कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था ,पर उसको पता था की सब अपनी अपनी  पोटलियाँ बना रहे थे ,तो उसने सोचा कि चलो घर का माल घर में ही है कोई बात नहीं ,पर अब सब भाई एक साथ नहीं रह सकते थे ,इसलिए अलग होने का निश्चय किया जिसके पास जो भी था सब छोड़ दिया गया और जो मकान  बचा था उसके कागज उन लोगों से अपने हक़ में करा लिए और बड़ा वाला यद्द्य्पी खून का घूँट पीकर रह गया ,पर फिर भी खुश था कि चलो इज्जत तो बची  रही ,कोई बात नहीं पैसा तो और भी कमा लेंगे ,पर भविष्य का किसी को क्या पता ,
सब अलग अलग होकर अपना अपना काम करने लगे और इसी प्रकार ३ वर्ष बीत गए ,तो बड़े ने दोनों छोटे भाइयों से मकान खाली कर जाने के लिए कहा क्योँकि वो मकान को ऊपर के दो हिस्से बनाकर कुछ किराये कि आय बनाना चाहता था ,तो छोटा तो थोड़ा रो पीट या लड़झगड़ और कुछ धन लेकर चला गया ,और बीचवाला तो किसी भी तरह जाना नहीं चाहता था ,इसलिए वो बड़े से लड़ने पर आमादा हो गया ,मार पीट पर उतारू हो गया यहाँ तक कि उसने बड़े भाई पर हाथ और घूंसे तथा लातों से प्रहार भी किये और साथ के साथ मारने तक कि जेल भेजने तक कि धमकियां तक दे डाली ,अब मरता क्या नहीं करता ,फिर चुप लगा गया ,
इसी प्रकार ५ वर्ष और बीत गए फिर उसे खाली करने के लिए कहा तो उसने करोड़ों रूपये कि डिमांड भी खड़ी कर दी ,पर बड़े के पास पैसे कहाँ वो तो किसी प्रकार अपना काम करके इज्जत बचने के साथ अपने बच्चों को कान्वेंट स्कूल में उनकी शिक्षा पूरी करवा रहा था ,उसके कोई लड़का भी नहीं था मात्र ३ पुत्रियां थी जिसके कारण भी उस वक्त भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा था ,
फिर हाथ वाथ जोड़े भाई हमारे हाल पर रहम कर पर उसने तो उसे चेतावनी ही दे दी कि या तो आधी  कोठी दे दो ,नहीं तो पूरी कि पूरी ही लेकर रहूंगा ,और उसे किसी ना किसी प्रकार दुखी करने लगा क्योँकि अब उसने फैक्ट्री आदि बेच बैच कर प्रॉपर्टी डीलर का धंधा शुरू कर दिया तो अब तो वो नेता के साथ बदमाश भी बन चुका था ,ये २००० कि बात है उस दिन अखिल भारतीय राजपूत कल्याण संगठन का समारोह चल रहा था तो उसने विघ्न डालने के लिए एक मशीन जो लगभग ५० हजार की होगी उसको जानपूछ्कर कोठी के पिछले गेट से चोरी चोरी निकालकर बेच दी ,उसके फिर प्यार से कहा गया तो उसने फिर गिरहबान पर हाथ डाल दिया ,अब वो बड़ा बेचारा क्या करे पुलिश भी उसीकी सुनती चूँकि वो तो छोटा मोटा नेता था और अच्छी पार्टी से जुड़ा हुआ था जिसका देश पर पिछले ५० सालों से राज्य था प्रितिदिन पुलिश से परेशान करवाने लगा कभी सरकारी दफ्तरों जैसे इनकम टैक्स ,सेल्स टैक्स ,दिल्ली विकास प्राधिकरण हाउस टैक्स ,बिजली विभाग ,आये दिन कंप्लेंट करता रहता था ,यानिकि वो बड़े को बर्बाद करने पर तुला था इसी प्रकार ५ साल और बीत गए यानी कि २००५ आ गया |