मंदिर ,मस्जिद गुरुद्वारा और चर्च के नाम पर
दुनिया भर के धर्म आपस में लड़ते ,कटते रहे हैं
पता नहीं कितने निरीह इंसान ऊपर जा चुके हैं
पर ये मिटटी सीमेंट के घरोंदे जस के तस खड़े हैं ,
इनके सामने इंसान की कोई मर्यादा भी नहीं है
क्योँकि ये धर्म के नाम पर धर्म स्थल जो बने हैं
इनमे पहुँच कोई पूजा ,कीर्तन ,नमाज,टी चूमे
अंतर नहि आता क्योँकि ये तो बुत बन खड़े हैं ,
जब ये शांति से खड़े ,धुप ,गर्मी मेंह सह रहे हैं
फिर हम इंसान इनसे सबक क्योँ न ले रहे हैं
कभी इनको परस्पर एक दुसरे से लड़ते देखा है
जो हम आज छुरे,तलवार ,बंदूकों से लड़ रहे हैं ,
यदि सत्य में आप इनके अस्तित्व को जानते हैं
और इनके प्रति स्वयं को नत मस्तक मानते हैं
जिस प्रकार ये ,अमर अस्तित्व बना मूक खड़े हैं
ठीक उसी तरह आप जग के शांति देवदूत बने हैं ।
दुनिया भर के धर्म आपस में लड़ते ,कटते रहे हैं
पता नहीं कितने निरीह इंसान ऊपर जा चुके हैं
पर ये मिटटी सीमेंट के घरोंदे जस के तस खड़े हैं ,
इनके सामने इंसान की कोई मर्यादा भी नहीं है
क्योँकि ये धर्म के नाम पर धर्म स्थल जो बने हैं
इनमे पहुँच कोई पूजा ,कीर्तन ,नमाज,टी चूमे
अंतर नहि आता क्योँकि ये तो बुत बन खड़े हैं ,
जब ये शांति से खड़े ,धुप ,गर्मी मेंह सह रहे हैं
फिर हम इंसान इनसे सबक क्योँ न ले रहे हैं
कभी इनको परस्पर एक दुसरे से लड़ते देखा है
जो हम आज छुरे,तलवार ,बंदूकों से लड़ रहे हैं ,
यदि सत्य में आप इनके अस्तित्व को जानते हैं
और इनके प्रति स्वयं को नत मस्तक मानते हैं
जिस प्रकार ये ,अमर अस्तित्व बना मूक खड़े हैं
ठीक उसी तरह आप जग के शांति देवदूत बने हैं ।