Sunday, May 15, 2016

DAHEJ WALI BAHU

एक लड़के की सगाई करने वाले आये ,घर में दो ही प्राणी थे ,एक माँ और एक बेटा ,लड़की वालों ने सोचा की चलो छोटा परिवार है लड़की भी खुश रहेगी ,तो उन्होंने लड़के की माँ को पूछा ,आपको कैसी बहु चाहिए ,
तो लड़के की माँ बोली भाई साहब अब लड़की साफ़ सुन्दर पढ़ी लिखी हो बस लड़के को पसंद आ जाये ,और मुझे तो बस खूब सारा दान दहेज़ चाहिए वैसे भी आप अपनी बेटी को सुख देने के लिए सब कुछ ही दोगे ,
बोले ठीक है ,लड़की ,दिखा दो
,लड़की देखि पढिु लिखी सुन्दर ,मॉडर्न सब कुछ ठीक ,लड़के को भी लड़की पसंद आ गई ,और शादी भी हो गई बहुत सारा दान दहेज़ लेकर आई ,उनका पूरा घर भर दिया ,दोनों पक्ष खुश थे
अब लड़की तो बड़े नाजों से पाली थी मन मर्जी से सोती ,सुबह को ९ बज जाते पर वो उठती नहीं अब घर में साफ़ सफाई कौन करे ,सासु तो बुजुर्ग थी ,उनके बास्की कहाँ ,क्या करें माँ बेटा दोनों सोचते क्या करें ,
दो चार दिन मा को झाड़ू लगते देखकर बेटे  का दिमाग ख़राब ,करे तो क्या करे ,उसने अपनी माँ को कहा की आज से झाड़ू मैं  लगाया करूँगा तुम नहीं ,हो सकता है शर्मा शर्मी उठकर झाड़ू लगाने लगे ,अब सुबह सुबह दोनों माँ बेटा आपस में भिड़ने लगे क़ि   आज मैं  झाड़ू लगाउंगी ,बेटा कह रहा मैं  लगाऊंगा ,शोर होना लगा क्योँकि वो जान  बूझकर उसे उठाना चाहते थे ताकि वो उठकर झाड़ू लगाने लगे ,
तभी बहु उठी और दोनों को डाटती हुई बोली की ये क्या मजाक बना रखा है सोने भी नहीं देते ,मेरे नींद ख़राब कर दी ,कल को ऐसा न हो इसलिए दोनों  अपने अपने वार ,यानि की दिन बाँट लो की किसने किस दिन झाड़ू लगानी है ,और फिर जाकर सो गई ,अब करें तो क्या करें दहेज़ के बोझ के  दबे हुए थे ,तो भाइयो जरा सम्भल के कही ऐसा आप  के साथ ऐसा न हो इसलिए जरा सोच समझकर ही दहेज़ की डिमांड करना ।

Monday, May 2, 2016

to mitro socho jldee or pristithiyon kin agyanta ka kya hashr hota hai

मित्रो २९ अप्रैल को मेरे साथ एक  घटी ,मैं  उस दिन रात्रि  फार्म हाउस में शादी में गया था ,अचानक  मुझे कोई पूर्व परिचित नजर आया ,और मैं वहां की परिस्तिथियों को नजरं अंदाज कर उस व्यक्ति से मिलने हेतु तेजी से भागा ,और वो भी जमीन को  देखे बिना , जब कि वहां कुछ केबल्स  पड़े हुए थे ,जिनमे मेरा एक पैर अटक गया और जैसे ही सम्भला तो दूसरा पैर भी अटक गया जिसका परिणाम ये हुआ की मैं मुंह के बल जमीन पर गिर गया ,यद्दीपी मुझे वहां खड़े व्यक्तियों ने फटाफट उठा लिया और चोट भी नहीं लगी ,
 जैसे ही मुझे कुर्सी  पर बिठा दिया तो मैंने कुछ खुसर पुशर सुनी ,कोई कह रहा था ,पी राखी होगी ,तो कोई कह रहा था यार कुछ लोग फ्री का माल समझकर ज्यादा ही पी जाते हैं ,एक कह रहा था यार आदमी तो शरीफ घराने का लगता है ,तो दुसरे ने कहा कि यार आजकल बड़े   घराने वाले ही तो ज्यादा पीते हैं ,तो एक बोला यार लड़की की  शादी है और वो भी राधा स्वामियों की जिनके यहां दारु का इंतजाम नहीं होता ,दूसरा बोला यार घर से पीकर आया होगा ,
तभी मेरा एक जान्ने वाला भी आ गया तो वो देखकर बोला क्या हो  गया चौहान साहब ,तो एक बोला यार इन्होने लगता है ज्यादा पी ली होगी सो गिर गए ,वो बोलम भाई मई इनको बरसों से जानता हूँ ये कभी शररब तो छोडो पानी भी छानकर ही पीते हैं ,
खैर मैंने कहा भाई इनको कहने दो जो भी कह रहे हैं ।
तो मित्रों मेरा कहने  तातपर्य  ये है की जल्दी का काम शैतान का और परिस्तिथियों को जाने या देखे बिना मुंह ऊपर को ऊंट की तरह  चलने का परिणाम आपने देखा और मेरी ज़रा सी गलती के लिए लोगों ने कितनी बातें बना दी ।
इसलिए अब आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है की जो गलतियां मैंने की  और उसका खामियाजा भी उठाया ,ऐसी गलतियां आप भविुष्य  में ना करें  जिसके कारण मेरी  तरह आपको भी  लज्जित ना होना पड़े और लोगों की  बातें भी ना सुन्नी पढ़ें