भाइयो वास्तविकता ये है कि मैं स्वयं नहीं जानता कि मेरा वास्तविक जनम दिवस कौन सा है और ये जो १.२.१९५१ जनम तारीख है ये तो जब मै स्कूल पहली बार गया था तो तब मेरे पिताजी ने अंदाजे से ही लिखवा दी होगी या जो मुंशी जी ने बताई होगी लिख दी ,पर अब तो मेरी आयु इसी तारीख से आंकी जाती है वैसे मुझे घर वालों ने ये भी बताया था कि मेरी आयु उस वक्त कम थी तो १ वर्ष ज्यादा लिखवा दी थी तो इस हिसाब से तो मै अभी भी ५८वर्श का गबरू ,जवान मुंडा लड़का हूँ इसलिए आप सभी ब्लोगेर्स से मेरी प्रार्थना है कि आप मुझ को बूढ़ा समझकर कर संपर्क करने मै सकुचाये नहीं ,मै अभी भी अपने आपको ४० वर्ष का युवा ही समझता हूँ वैसे भी जनता के विचारों मै बुडा वो होता है जो स्वयम को असाहय,वर्द्ध या कमजोर समझता हो ,वैसे भी आज के युग मै तो जवानी ही ६० वर्ष के बाद शुरू होती है ,अत:मेरी आप सबसे भी यही प्रार्थना है कि आप चाहे किसी भी आयु के हों ,हमेशा खुद को जवान या छोटा सा बच्चा ही समझे ,जनता चाहे आपको चाचा ,ताऊ ,बाबा ,दादा या परदादा ही क्योँ ना कहे
वैसे मै कुछ बातें मुख्य धारा से अलग हटकर लिख गया ,वास्तविक बात तो थी कि मेरा जनम दिन क्या है तो भाइयो उसके बारे में मेरी माता जी बताती हैं की उस दिन जब तू पैदा हुआ था भादों का महीना था बरसात की रात थी ,हवा जोरों से चल रही थी पर उमस बहुत थी चारों और अन्धेरा ही अन्धेरा था ,उस रात को सूजी का हलवा बनाया था ,तेरे बाबा को मरे हुए १ साल हो गया था देश बहुत पहले आजाद हो गया था ,गाँधी जी को भी मरे हुए सालों बीत चुके थे ,पंडित मुरारी लाल जी ज़िंदा थे ,तेरा भविष्य हमने उन्ही से पूछा था ,हम तो तुझको कृष्णा ही समझ रहे थे क्यूंकि वो भी तो भादौं के महीने में ही बीते थे ,कुंडली हमने कोई बनवाई नहीं थी तो बेटा हम ठीक तारीख कैसे बताएं तो हमने भी कहा की माता जी हम तो अपना काम ऐसे ही चला लेंगे पर आगे नाती पोती पोतों का ख्याल रख लेना हो सके तो जनम कुंडली सुन्द्ली बनवा लेना ,तो बोली बेटा आगे के काम तो तुम जानो या तुम्हारी बहुरिया ,हमारी जान तो छोड़ो ,तो दोस्तों ऐसी है हमारी जनम दिवस की तारीख
Monday, February 1, 2010
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