भाजपाइयों जी एस टी के नाम पर जनता को मत लूटो
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क्या मुझे मोदी जी या जेटली जी अथवा कोई भी मंत्री से लेकर संतरी तक और कोई भी अंध भक्त ये कृपा करेंगे कि आपने जी एस टी किस पर लगाया है या किस्से वसूल कर रहे हैं ?
शायद ये लोग देश की भोली ँभाली और गरीब अमीर जनता को ये नहीं बताना चाहते कि ये टैक्स देश की जनता पर लगाया है ना कि व्यापारियों पर , क्योँकि उन्होंने २०१९ में जनता का वोट हड़प करना है ,
व्यापारी तो एक माध्यम है जनता से टैक्स वसूलकर इनके खाली खजाने को भरने वाला और वो भी फ़ोकट में ,
कोई भी व्यापारी अपनी जेब से कोई भी टैक्स नही देगा ,और पहले भी नहीं देता था ,उसका काम है वसूली करना मात्र ,
परन्तु ये जनता को भर्मित कर रहे हैं कि व्यापारी जी एस टी के लिए इस कारण शोर मचा रहे हैं हैं क्योँकि वो टैक्स नहीं देना चाहता ,जब की वास्तविकता इसके विपरीत है की व्यापारी चाहता है की टैक्स की वसूली और उसे जमा कराने की प्रक्रिया को सरल बना दिया जाए ,और यदि कुछ टैक्स भी कम कर दिया जाएतो" सोने पे सुहागा हो जाए " ताकि जनता पर बोझ कम् पड़े इसे १०० रूपये के बिस्किट अपने बच्चों हेतु ११८ रूपये में ना खरीदने पड़ें इसी प्रकार कहीं २८%तो कहीं इससे भी ऊपर टैक्स लगे हैं ,अब बिस्किट जैसी चीज भी गरीबों के बच्चों के मुंह से छीनी जा रही है
हकीकत में जिन्होंने टैक्स देना है वो सड़क पर नहीं आ रहे वसूली करने वाले व्यापारी को बली का बकरा बना रही है मोदी सरकार
यदि सही मायने में देखें तो जी एस टी के मामले में सरकार जनता की दुश्मन है और व्यापारी जनता के हितेषी "
वास्तव व्यापारी देश की जनता के लिए के लिए आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं
इसे कहते हैं" मुद्दई सुस्त और गवाह चुस्त "
सम्पूर्ण टैक्स जनता के सभी तभी तबकों ,गरीब ,अमीर ,बहुत बड़े अमीर ने ही भरना है
व्यापारी को टैक्स से कोई नफ़ा या नुक्सान नहीं है यदि कुछ मिलेगा नव्यापारी को तो वो है" सिरदर्दी "
यदि जनता अभी संभल जाए ,और समझ जाए तो अच्छा है ,व्यापारियों या अमीरों को कोई फर्क नहीं पडेगा मरेगा तो गरीब आदमी ,
सरकार भी मजे लेगी और व्यापारी भी और तुम पिस्टे रहना ,
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