एक जंगल में एक सियार रहता था कहते है की सियार भी लोमड़ी से कम चालाक नहीं होता अचानक उसे एक दिन सूजा की यार जंगल में इतने जानवर रहते है क्यों ना इनका नेता बना जाए ,ये तो सब बुद्धू हैं किसी को ताकत का अहंकार है तो किसी को अपने लम्बे चौड़े शरीर का की अपनी लम्बी छलांग ,यानी के सभी अपनी अपनी मस्ती में मस्त है फिर क्यों ना इनका इस्तेमाल कर ,बेवक़ूफ़ बनाकर अपने बढिया kहाने पीने और सत्ता करने का मजा ले अब उसके दिमांग में आया की राजा या नेता बन्ना है तो सिंहासन तो होना चाहिए ,उसके लिए वो कहीं से हड्डियां उठा लाया और कहीं से गोबर ,और कहीं से टूटे हुए जूते ,सबसे पहले उसने हड्डीयौं का एक ऊंचा सा चबूतरा बनाया और उसको गोबर से लीप लिया और अपने कानो में वो फटे जूते पहिन लिए ,और उसके ऊपर बैठ गया और जोर जोर से नेताओं की भाँती आवाज लगाने लगा भाइयो सब आज एकत्रित हो जाओ नेता जी और उनकी सरकार बनायी जायेगी ,जंगल में सभी जानवरों में कानाफूसी होने लगी बोले यार चलो देखते हैं वहाँ क्या होगा ,सब एकत्रित
होने लगे सब चुपचाप बैठ गए तो वो सियार बोला ,देखो भाइयो सबसे पहले तो जो में बोलू तुम भी वोही बोलना बोलो चांदी का तेरा चबूतरा ,जैसे सोने लिपा होए ,कानो में दो मुन्द्रे जैसे राजा बेठा होए ,सबके कान खड़े हो गए भाई यो तो राजा बन्ने की सोच रहा है फिर सभी बोल पड़े और इसका मतलब था की उनसब ने स्वीकार कर लिया की हमारा राजा वो है प़र उनमे से एक जानवर ना बोला तो सियार की नजर तो उसी पे थी सो उसने पूछा भाई तू क्योँ ना बोला तो वो बोला सुन रे भाई मुझे तू ऐसा नहीं लग रहा जैसा की तू कहलवा रहा है ,सियार बोला की फिर तू बता में कैसा लग रहा हूँ ,तो वो बोला सुन तू राजा वाजा कोई नहीं है ,सुन हड्डीयौं का तेरा चबूतरा ,जैसा गोबर लीपा होए ,कानों में दो जूतरे जैसे गीदड़ बेठा होए ,इतना कहना था की वो खुद ही सिंहासन से उतर कर भाग गया,तो भाई अब हिस्साब आप खुद लगाना की सार क्या है
होने लगे सब चुपचाप बैठ गए तो वो सियार बोला ,देखो भाइयो सबसे पहले तो जो में बोलू तुम भी वोही बोलना बोलो चांदी का तेरा चबूतरा ,जैसे सोने लिपा होए ,कानो में दो मुन्द्रे जैसे राजा बेठा होए ,सबके कान खड़े हो गए भाई यो तो राजा बन्ने की सोच रहा है फिर सभी बोल पड़े और इसका मतलब था की उनसब ने स्वीकार कर लिया की हमारा राजा वो है प़र उनमे से एक जानवर ना बोला तो सियार की नजर तो उसी पे थी सो उसने पूछा भाई तू क्योँ ना बोला तो वो बोला सुन रे भाई मुझे तू ऐसा नहीं लग रहा जैसा की तू कहलवा रहा है ,सियार बोला की फिर तू बता में कैसा लग रहा हूँ ,तो वो बोला सुन तू राजा वाजा कोई नहीं है ,सुन हड्डीयौं का तेरा चबूतरा ,जैसा गोबर लीपा होए ,कानों में दो जूतरे जैसे गीदड़ बेठा होए ,इतना कहना था की वो खुद ही सिंहासन से उतर कर भाग गया,तो भाई अब हिस्साब आप खुद लगाना की सार क्या है