Friday, November 6, 2015

एक अनोखी कहानी किन्तु सत्य (पार्ट ११ )

जब उसके तरकश में चलाने हेतु कोई तीर नहीं बचा ,और वकीलों ने भी और उसके यार दोस्तों ने भी कह दिया की भाई अब कुछ नहीं होने वाला और अब तुम्हारे मुकदद्मे ऐसे ही बीसियों या उससे भी ज्यादा साल चल सकते हैं ,और हो सकता है की उसे इस जन्म में तो ये मकान मिलने से रहा ,और वैसे भी मकान की पक्की रजिस्ट्री बड़े की पत्नी के नाम से है तो ,मिलने की उम्मीद भी कम ही है ,इससे तो ये ही अच्छा है की किसी भी तरह से फैसला कर लो और जो मिल जाए उसे लेकर मजे लो ,
पर वो भली भांति जानता था की बड़ा किसी भी तरह से फैसला नहीं करेगा ,दुसरे उसकी कमाई तो सीमित थी पर खर्चे बहुत  ज्यादा होते जा रहे थे ,घर का किराया ,खाने पीने के खर्चे ,बच्चों की शादी ,वकीलों की फीस ,गाड़ियों के खर्चे सब मिलाकर उसकी किराए की कमाई से ज्यादा ही पड़ते थे ,और बच्चों का सहयोग ना के बराबर ,वैसे भी बड़े की शादी  हो चुकी थी ,अब जो  किराये . का मकान था वो भी छोटा पड़ने लगा और जब कल को छोटे की शादी हो जायेगी तो और बड़ा मकान चाहिए ,समाज और मुहल्ले में  बदनामी भी काफी हो चुकी थी परन्तु उसे बदनामी या इज्जत जैसे शब्दों या चीजो से कॉिम फर्क नहीं पड़ता था ,फिर भी रहने  के लिए फ्री में एक मकान की जरूरत तो थी ही ,
इन सबके मद्देनजर उसने एक जबरदस्त फैसला ले लिया  की अब वो दोबारा से सभी रिश्तेदारों ,संस्थाओं और मित्रों का सहारा लेकर फिर भाई  साहब के पास जाएगा और उन लोगों की तरफ से दबाब बनाये जाने पर शायद भाई साहब फैसला करने के लिए राजी हो जाएंगे और उसे मकान का आधा हिस्सा दे देंगे ,
और फिर उसने सभी को एकत्रित करना शुरू कर दिया परन्तु उनमे से कोई भी व्यक्ति बड़े से जाकर कुछ कहने की स्तिथि में नहीं था इसलिए वो अक्सर मना ही कर देते ,परन्तु उसे  कुछ बड़े के दोस्तों और रिश्तेदारों ने साथ देने का वायदा कर दिया ,परन्तु उन्होंने कहा की वो कहेंगे कुछ भी नहीं ,चुप चाप   उसके समर्थन में जाकर खड़े हो जाएंगे ,और फिर एक दिन उसे मिलने जाने की तारीख तय कर ली गई |

Thursday, June 11, 2015

लड़की की शादी ,और दहेज़ की व्यवस्था के कुपरिणाम

क्या कभी आपने या देश की किसी भी सरकार ने सोचा है कि बेटी की शादी करने के लिए दहेज़ एकत्रित करने हेतु बेटी के अभिभावकों को क्या क्या सहन करना और सुन्ना  पड़ता है ,|
अब चाहे गाँव हो या शहर अथवा टाउन सभी जगह एक जैसी दशा है ,
जैसे ही  बेटी  १६ या  १८ की आयु को पार करती है तो माँ बापू को  पता नहीं चलता कि कि उनकी बेटी  शादी लायक हो गई है क्योँकि वो उसे पढ़ा लिखकर उसका कर्रिएर बनाना चाहते है ,वैसे भी उनको अपनी बेटी बच्चा ही नजर आती है जब तक कि वो मेचौर ना हो  जाए और घर बार संभालने के काबिल ना हो जाए ,या अभी उनके पास यथायोग्य धन न्नहीं होता  दहेज़  देने के लिए क्योँकि अभी तो वो पढ़ाई लिखाई करने में ही काफी धन लगा चुके होते हैं ,परन्तु मजे कि बात ये है कि आपके अड़ोसी पड़ौसियों और रिश्तेदारों  पहले पता चल जाता हैं कि उसकी बेटी युवा हो गई है ,और फिर वो अभिभावकों को टॉर्चेर करना भी शुरू कर देते हैं ,और ऐसे भोले बनकर कहते हैं ,भाई  साहब आपकी बेटी शादी लायक  हो गयी है कब कर रहे हो ,जैसे  कि पूरे दहेज देने का इंतजाम उन्होंने पहले ही  कर रखा हो और जब शादी ंहोगी तो 1000 खाकर टिकाएंगे १०१ रुपया ,,
  तो भाई इस  प्रकार कि बातों से तंग आकर बेटी के  अभिभावकों को क्या क्या करना  पड़ता है देखिये और कैसे कैसे परिणाम भोगने पड़ते हैं मात्र दहेज़ के कारण |
सबसे पहले तो जिस किसी भी व्यक्ति के पास बेटी कि शादी में दहेज़ देने के लिए पैसे कि कमी होती है तो मात्र इसी कारण से पुत्री कि आयु और जल्दी जल्दी बढ़ने लगती है जिसे देख देख और सोच सोचकर के उसके अभिभावक रात दिन चिन्तयुक्त होकर  प्रितिदिन और प्रितिरात  मरते रहते हैं |
दूसरा कारण कभी कभी पैसे कि तंगी के कारण उनको अपनी पुत्री कि शादी किसी ऐसे व्यक्ति से करनी पड़ती है जो कि किसी भी तरह से उसके उपयुक्त नहीं है जिसके कारण भी उनका मारना जीना प्रितिदिन चलता ही रहता है |आ
यदि ऐसा नहीं करते हैं तो समाज में तिरस्करित जीवन जीते हैं |
यदि कोई सरकारी नौकर है ऊर्फ उसके पास सही जुगाड़ पैसे का नहीं है तो वो किसी भी तरह धन कमाकर पुत्री कि शादी जल्द से जल्द करना चाहता है जिसके लिए उसे रिश्वत आदि लेकर भ्र्ष्टाचार करना पड़ता है ,यदि नहीं पकड़ा गया तो वाह वाह ,और पकड़ा गया गया तो जेल कि हवा खा ,शादी शुदी गई भाड़ में |
यदि व्यक्ति व्यापारी है और उसका व्यापार ठीक नहीं चल रहा है और पैसा नहीं है और इज्जतदार भी है तो पैसा मांगे किस्से ,और यदि पैसा माँगा तो इज्जत गई भाड़ में ,तो वो मजबूरी में दिवाला आदि निकालेगा या फिर आत्महत्या ही करेगा ,या फिर दूकान मकान बेचेगा ,उस वाली बात होगी कि धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का ,अब और करे भी तो क्या |
और यदि पुत्री का बापू किसान है और आय को मुख्य स्रोत नहीं है तो बेचारा क्या नहायेगा और क्या निचोड़ेगा ,या तो साहूकार से ८ या १०% पर पैसा लाएगा और चूका नहीं पायेगा तो बेटी कि शादी तो हो जायेगी परन्तु वो बंधुआ बन जाएगा ,या फिर बैल भैंस कटिया ,खेत खलहान कुछ भी बेचेगा तो भी गई भैंस पानी में ,फिर उससे अच्छा है कि आत्महत्या ही करे |
और यदि किसी मजदूर की  बेटी है तो दिल पर पत्थर रख कर  किसी भी काले पीले ,बेवड़े,या नशेड़ी से शादी शुदी करके घर में चुप चाप बैठ जाएगाउसकी अपनी जिंदगी तोमखराब होगी ही साथ में लड़की जिंदगी तो नरक ही बनकर रह जाएगी ,यदिमवोम लड़की  की शादी न करता तो अड़ोसी पडोसी रिश्तेदार जीने ही नहीं देते ना उसको ना उसको ना उसकी बेटी को |
कहने का तातपर्य है कि समाज के डर मात्र से भी कितने ही शरीफ लोग बेटी कि शादी ना करने के कारण समय से पहले ही स्वर्गलोक सिधार जाते हैं ,जिसके कारण पीछे रह चुके और बच्चों या  जो उस पर आश्रित थे उनका जीवन भी खराब और वो फिर अपना पेट भरने हेतु क्राइम करना शुरू कर देते हैं |
और ये सभी बातें ,समाज और सरकार भी भली  भांति जानती है परन्तु शादी विवाह को मात्र REGISTRATION तक नहीं पहुंचती क्योंकि जो सरकार में हैं या बड़े बड़े नेता राजनेता हैं उनके पास तो देश का १५%रुपया है  इसलिए वो चाहे जितना पैसा खर्च कर सकते हैं ,इसलिए ना तो वो मरेंगे और नाहीं उनकी बेटियां आत्महत्या जैसा घिनौना कार्य करेंगे फिर वो परवाह करे भी तो क्योँ |
इसलिए यदि देश को और महिलाशक्ति को बचाना है और अगली पीढ़ी में वीर पढ़े लिखे होनहार युवक और युवतियां पैदा करनी हैं तो दहेज़ रुपी कोढ़ को देश से हटाना ही पडेगा ,वरना तो आगे आने वाला समाज विकृति वाला ही पैदा होगा ,क्योंकि जब बच्चा माँ के गर्भ में होता है और युवती को दहेज़ के लिए प्रताड़ित किया जाता है तो उसका असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है |
मात्र एक शादी ना करने या जोड़तोड़ या क्राइम करके पैसा एकत्रित कर पूर्ण दहेज़ के रूपम में देने से क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है परन्तु सरकार कम कान पर जू नहीं रेंगती |
अत:  हम सभी भारतीय जनता और सरकार को मिलकर दहेज़ रुपी कोढ़ को समाप्त करने हेतु पर्यटन करने चाहिए ,आज नहीं तो कलम सफलता अवश्य मिलेगी
                                                                                         धन्यवाद




























Monday, June 8, 2015

स्त्री का वर्चस्व पुरुष के समक्ष नगण्य क्योँ ?

स्त्री का वर्चस्व २१ वीं शताब्दी में भी पुरुष के समक्ष नगण्य है आखिर क्योँ ?
कोई भी पुरुष गरीब से गरीब और अमीर से अमीर ,बिना दहेज़ के किसी भी लड़की से विवाह करने को तैयार नहीं है क्योँ ?
यदि लड़का इंजीनियर ,I A S या I P S या I R S  है तो उनके रेट भी करोड़ों में तय हैं चाहे लड़की भी इन्हीं रैंक्स की क्योँ ना हो क्योँ ?
बहुत  सारा दहेज़ देने के बावजूद भी लड़की को पैर की जूती समझा जाता है क्योँ ?
दहेज़ लाने के बाद भी ससुराल में उससे नौकरों जैसा व्यवहार होता है  क्योँ ?
उनसे घर  का काम काज भी जानवरों की भाति लिया जाता है क्योँ ?
उनको ससुराल में प्रताड़ित किया जाता है क्योँ ?
आज देश में ९३ % स्त्री आत्महत्या के केस मात्र दहेज़ को लेकर होते हैं क्योँ ?
इस  सबके बावजूद आज तक देश में  दहेज़ रोकने का कानून  तो बना परन्तु उसको असली  जामा नहीं पहनाया गया क्योँ ?
क्योँकि जिन लोगों की सरकार है या जो सरकारी पिट्ठू हैं उनके पास अथाह धन है और वो अपनी बेटियों की शादी में अचूक धन व्यय करते हैं ,उनके लिए गरीब कन्या या स्त्रियों का कोई महत्त्व नहीं है ,
यदि ये ऐसे ही चलता तो वो दिन दूर नहीं है जब की हर घर के बेटी को आत्नहत्या का सामना करना पडेगा क्योँकि आप चाहे कितना ही दहेज़ दे दो परन्तु उन दुर्जनों का पेट नहीं भरता |
कायदे से तो न्याय प्र्णाली के तहत शादी मात्र रजिस्ट्रेशन से हो जानी चाहिए ,फिर देखिये देश कैसे उन्नति करता है
क्योंकि आधी जिंदगी तो व्यकि की चाहे वो व्यापारी हो या किसान अथवा सरकारी नौकर या साधारण व्यक्ति ही क्योँ न हो अपने बच्चों की शादी के लिए धन एकत्रित करने में ही लग जाता है ,फिर वो तरक्की क्या करेगा खाक ,वो सिसकता ही रहता है |






Saturday, May 23, 2015

आलोचना

आलोचना
 एक ऐसा
वाणी वाण है
जो ंबहुतं
धीरे धीरे
जख्म बनाता है और
वो जख्म एक दिन
नासूर बन जाता है
और आलोचक
सोचता है कि
आलोचना करना
मात्र उसी को आता है
बाकी सब जन
आलोचना के अरी हैं
मात्र वो स्वयं ही
उसका सगा भ्राता है
परन्तु जब वो
सोचनीय अवस्था से
जाग्रत अवस्था में
आता है तो
देखता है कि
वो जिसकी आलोचना
कर  रहा था
वो तो स्वस्थ्य और
सुदृढ़ है परन्तु
वो स्वयं नीचता को
प्राप्तं करके
समाज कि दृष्टि में
कमीना ,कंजर ,कुलच्छना
निम्न स्तर का
व्यक्तिं बन जाता है
और जो जख्म
दूसरों को देना चाहता था
उस जख्म का
स्वयं भागीदार
बन जाता है
फिर सम्पूर्ण जीवन
कीड़े मकोड़ों जैसा
जीवन यापन करता हुआ
अधोगति को प्राप्त कर
नरक कुण्ड में
समा जाता है |











Wednesday, April 1, 2015

एक अनोखी कहानी किन्तु सच पार्ट (१० )

उसके बाद जब सभी कार्य ठीक करा लिए गए तो फिर अपना पुराना काम शुरू कर दिया ,बच्चे सब धीरे धीरे काम करने लगे तब कहीं जाकर माली हालत कुछ ठीक होने लगी फिर जिन लोगों से थोड़ा बहुत पैसा उधार ले रखा था तो उनको हाथ  जोड़कर वापिस करने लगा और बैंक ब्याज भी साथ के साथ दिया जाने लगा ,इन सभी हालातों का बीच वाले को पता चल जाता था तो फिर उलटे काम करने लगता था ,जैसे की मुल्ला मौलवियों से टोन टोटके ,तंत्र मंत्र भी कराने लगा की किसी प्रकार बड़े के होते हुए सभी कार्य रुक जाएँ और मारन तंत्र का प्रयोग भी करने लगा जिसके कारण बड़ा बीमार रहने लगा ,और बीमारियां भी ऐसी की डॉक्टर्स को भी समझ नहीं आती थी फिर बड़े ने भी  कुछ लोगों को दिखाया तो उसके पैरों के नीचे से मिटटी ही निकल गई क्योँकि उसने तो बंगाली जादू ,मारन यत्र पता नहीं क्या क्या करा रहा था ,कुछ मौलवी ,सयाने प्रकांड पंडितों ने तो इलाज करने से ही मना कर दिया पर फिर एक बहुत पहुंचे हुए काली उपासक मिले उन्होंने किसी प्रकार से उसके टोन टोटकों से जान छुड़वाई ,फिर भी एक आँख में मोतिया बिन्द आ गया और टांगों में जान ही  नहीं रही
फिर आँख का इलाज कराया ,और टांगों का इलाज भी चलने लगा धीरे धीरे आराम आने लगा |
फिर उसने एक और FI R बड़े और उसकी पत्नी ,और साले एवं उसकी लड़की के नाम दर्ज कराने का भरसक पर्यटन किया परन्तु एक पुलिस अफसर को समझ आ गई की ये व्यक्ति इन सबको झूठे केस में फ़साना चाहता है अत: उसने F I R करने के लिए मना कर दिया ,फिर वो कोर्ट चला गया वहाँ जज ने भी पुलिस को रिपोर्ट बनाने के लिए कहा तो उसने भी बड़े के हक़ में ही रिपोर्ट दे दी ,फिर वो हाई कोर्ट चला गया ,वहाँ से भी केस वापस निचले कोर्ट भेज दिया ,तब वो कुछ शांत होकर बैठा ,
   परन्तु फिर भी बाज नहीं आया और उसने कुछ गुंडे बड़े के पीछे और बड़ी लड़की की गाडी के पीछे लगा दिए परन्तु कुछ दिन बाद पैसों के लेकर उसका उन बदमाशों से पंगा हो गया ,और उन्होंने बड़े की जान बख्श दी और बड़े से मिलकर बता भी दिया की उसका भाई उसे मरवाने के लिए उनको हायर किया था परन्तु कोईु पंगा हो गया इसलिए हम आपको कुछ भी नहीं कहेंगे वैसे भी उनको पता चल चुका था की बड़ा एक शरीफ आदमी है जिसके कारण उनका इंटरेस्ट खत्म हो गया |
फिर उसने एक दिन बड़े की गाडी का किसी ट्रक से एक्सीडेंट भी करा दिया परन्तु भगवन का करिश्मा की कहीं भी खरोच नहीं आई ,हाँ गाडी अवश्य टूट चुकी थी
अब जब बड़ा अपनी बेटियों की शादी करने के लिए किसी से मिलता और उसको  पता चल जाता तो वहाँ जाकर भी कुछ उल्टी उल्टी बातें करके रिश्ता तुड़वा देता ,मतलब कहने का तातपर्य है की उसने आखिर नीचता की हद ही पार कर दी ,अब एक शरीफ आदमी लड़ें भी तो कैसे लड़े ,उसने बड़े की और उसके बच्चों की जिंदगी खराब करके रख दी |

Saturday, March 28, 2015

एक अनोखी कहानी किन्तु सच्ची (पार्ट ९ )

उसके बाद बीच वाले ने अपने जान पहिचान के गुंडों से जेल के अंदर ही भरसक प्रयत्न किये परन्तु  बड़े को पिटवाने और ब्लेड लगवाने के लिए भरसक प्रयत्न किये परन्तु किसी न किसी के सहयोग से हर बार बच जाता था क्योँकि जेल में अपने अच्छे कार्यों और अपने अच्छे व्यवहार के कारण  सभी अफसर तथा कैदियों से उसकी अच्छी जान पहिचान हो गई थी ,बड़े को कवितायें लिखने और सम्मेलनों में कविता पढ़ने का शौक था ,इसी प्रकार के कवि सम्मलेन जेल में भी हर महीने एक दो बार हो जाते थे जिनमे बड़े की कविताएं सभी कैदी और अफसर बड़े ही दिल से सुनते थे क्योँकि वो सभी कविताएं कैदीयोंं,विचाराधीन कैदियों और अफसरों के ऊपर ही होती थी और कुछ अपने कारण खुद  के दुःख सुख की भी ,कहने का तातपर्य है की सभी लोग बड़े के मुरीद हो गए थे ,और जेल में रहकर क्षात्रो को पढ़ाना और समय समय पर उनकी सहायता कर देना या जेल में उनके लिए किये हुए सुधारों में अफसरों से मिलकर कुछ ना कुछ करा देना शामिल थे  ,और एक समय तो ऐसा आया कि जेल में रहने वाले बड़े बड़े ,और प्रसिद्ध कैदी भी उनके पास आयकर धोक करने लगे ,जिसके कारण फिर  कोई भी बड़े से पंगा लेना ही नहीं चाहता था ,बल्कि एक बार एक विचाराधीन कैदी ने बड़े से कुछ उलटा बोल दिया   फिर तो दसियों कैदी और अफसरों ने उसको इतना मारा की बड़े ने ही उसे छुड़ाया ,तब उसने भी उसके भाई का ही नाम लिया ,बड़ा अंदर रहकर बिना पढ़े लिखे कैदियों के केसेस की चाजर्शीट पढ़कर उनको समझाता था तो सभी प्रभावित थे ,वो बड़े की खूब सेवा करते जैसे  की मालिश  आदि  करना ,उनको खाना पानी laakar देना ,कपडे धो देना आदि आदि 

लगभग १६ माह जेल में रहने के बाद एक दिन जज साहब ने खुद ही बेल दे दी ,और फिर बड़ा घर वापस आ गया ,बड़ा बहुत रोया  था उस दिन उसे ऐसा लगा जैसे की नया जन्म मिला हो और उस दिन दुःख के कारण बड़े के भाइयों माँ बहन के घर रोटी भी नहीं पकी ,सम्पूर्ण परिवार दुखी हो गया किबड़ा जेल से छूटा क्योँ ?उसके बाद लगभग २ माह तक तो ऐसा लगा की जैसे उसके मस्तिष्क ने काम ही करना बंद कर दिया हो ,फिर कहीं नार्मल होने के बाद अपना काम काज देखना शुरू किया जो सबकुछ समाप्त हो चुका था उसको किसी प्रकार पटरी पर लाने की कोशिश करने लगा ,और जितने भी सेल्स टैक्स ,इनकम टैक्स D D A या M C D  के केसेस थे सबको सही कराता कराता वो लगभग टूट सा चुका था क्योँकि जितना भी पैसा घर में या पार्टीज से लेना था वो या तो खत्म हो चुका था अथवा कुछ मर चुका था ,या मुकदद्मों में वकील आदियों को देने में काम आ चुका था ,पर ईश्वर की कृपा से पैसे की जरूरत भी पूरी होती जा रही थी कॉिम ना कोई हेल्प कर ही देता था ,
पिछले  दो वर्षों में बैंक ब्याज काफी हो चुका था ,अत; बैंक वालों ने मकान की नीलामी की घोषणा कर दी ये बात बीच वाले को पता थी क्योँकि उसी ने बैंकर्स को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया था वरना वो कुछ भी नहीं कह रहे थे वो कह रहे थे की आराम से थोड़ा थोड़ा देते रहो ,पर अचानक नीलामी की सुन बड़े के पैरों के नीचे से मिटटी निकल गई ,यानी की बनी बनाई इज्जत मिनटों में खत्म होने वाली थी परन्तु फिर एक मसीहा आ गया जिसने उस बैंकर्स को पैसे dekar नीलामी रुकवाई और फिर कही जान छूटी |



Thursday, March 26, 2015

एक अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ८ )

लगभग शाम के ६ बजे के करीब रोहिणी जेल में प्रवेश करने के बाद और जेल की कुछ खाना पूर्ती यानी कि कैदी के कुछ कागजात ,स्वास्थ्य जांच ,आदि करने के बाद बड़े को जेल के वार्ड  २, जिसे मुलाहजा वार्ड भी कहते हैं में एक चटाई और एक दरी के साथ प्रवेश दे दिया गया ,और फिर उस दिन जितने भी कैदी थे जो कि लगभग १० थे सभी को गमा गरम खाना दे दिया गया और फिर बड़ा एक कमरे में जिसमे कुछ और  भी कैदी थे  जाकर लेट गया ,और वार्डन ने सो जाने को बोला ,परन्तु उसकी आँखों में नींद कहा ,भविष्य अपना और पत्नी तथा ३ पुत्रियों बार बार आँखों और दिमाग में कौंधता रहा ,और उसी रात को वो कितनी ही बार रोया भी ,खाली ये सोचकर कि जिनके लिए उसने अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया था सब को सभी कुछ दिया दूकान ,फैक्टरी ,घर ,शादियां और जो भी उन्होंने चाहा जैसे चुनावों में सांसद और विष्ायक के लिए भी उनको चुनाव लड़ाकर बनाने कि कोशिश कि और आज उन्होंने ही उसको मिलकर जेल भेज दिया और उसकी सगी माँ और बहन और छोटा भाई भी उसी का साथ दे रहे थे ,क्योँकि सभी मिलकर बड़े से उसके मकान को  छीनना चाहते थे ,बार बार बच्चो का चेहरा सामने आ जाता और कभी सोचता कि यदि उसे जेल में कुछ हो गया तो उसके बच्चों का क्या होगा ,पत्नी का क्या होगा ,बहुत अच्छी तरह चलता व्यापार भी खत्म हो जाएगा ,वैसे भी बड़े पिछले कुछ वर्षों में बीच वाले कि कमीनी हरकतों को अच्छी तरह देख लिया था इसलिए उसे और ज्यादा डर लग रहा था ,इसी प्रकार एक दुसरे से बात करते करते और अपने दुःख सुख सुनाते सुनाते रात व्यतीत हो गई ,सुबह को यद्यपि  चाय वगैराह आई थी परन्तु उसने नहीं पी ,जेब में पैसे नहीं थे क्योँकि वहां अंदर एक दूकान  भी थी  जिस पर चाय कॉफी मिलती थी ,तभी एक कैदी ने आकर बड़े कि जेब में कुछ टोकन डाले और कहा कि आप जो भिो कुछ खाना पीना चाहते हैं खा पी लीजिये ,आखिर उसने कुछ चाय वगेरह पी ली ,और फिर घर से उसके बच्चे भी मिलने आ गए जो कि घर से कपडे और पैसे आदि और घर का खान दे गए और मुलाक़ात भी कर ली ,और फिर ये सिलसिला सप्ताह में दो बार चलता रहा ,बीबी ,बच्चों से मिलकर दिल खुश हो जाता था ,और फिर बच्चों ने एक और अच्छा वकील करके बेल के लिए कागज लगा दिए परन्तु बड़े और उसके I O के कारण बेल ना मिली ,फिर एक बार और बेल लगा दी ,तब भी उसने बेल ना लेने दी और शर्ते लगा दीं ,यानी कि डिमांड खड़ी कर दी कि या तो आधा मकान दो या फिर ५ करोड़ रुपया ,वरना जेल से बाहर नहीं आने देगा ,और फिर एक बेल कि अर्जी हाई कोर्ट में भी लगा दी तो उसने वहाँ भी जज के सामने नई नई बातें खड़ी करके ऐसा कुछ लगवा दिया कि ताकि अगले १५ माह तक बेल ही ना हो सके ,अब तो बड़े ने बेल के बारे में सोचना ही छोड़ दिया और हालात  से समझौता कर लिया कि अब वो तभी बेल लेगा जबकि जज खुद ही कहेगा कि बेल ले लो ,हाँ एक बात और ,
उस दिन बड़े को जेल भेज देने के बाद सम्पूर्ण परिवार ने घर में दिवाली मनाई गई गई के दीपक जलाये और मिठाई खाई और रिश्तेदारों को भी भेजी |
        तभी एक दिन पता चला कि उसने बड़े को साले को भी झूठा गवाह घोषित कराकर और I O को रूपये चढ़ाकर उसे भी रोहिणी जेल भेज दिया ,और जो बड़े का मैनेजर था उसे भी द्वारा धमकाकर भगा दिया और जितने भी आदमी थी सभी को जेल में फंसाने का डर दिखाकर भगा दिया ,और जो भी रिश्तेदार मिलने आता उसके साथ भी मारपीट करने लगा ,इसके पीछे उद्देश्य था कि जब घर में कोई आदमी ही नहीं रहेगा तो ये तीनो लडकियां और उसकी पत्नी क्या करेगी फिर तो वो जो भी चाहेगा उनको करना पडेगा ,और फिर घर वाले सभी मिलकर बड़े कि पत्नी और पुत्रियों को गाली गलोच मारपीट उलटा सुल्ता जो भी दिल में आता कहना ,परेशान करने लगे ,परन्तु बच्चों ने हार नहीं मानी तो वो उनपर बे मतलब के लांछन आदि जैसी गलत बातें और हरकत करने लगे ,अब सिवाय पड़ोसियों को उसके बच्चों को कोई सांत्वना देने वाला नहीं था ,यदि थे तो बड़े के साढू,सालियां आदि थे जो सभी प्रकार से उनकी मदद कर रहे थे ,उनको भी वो जेल में फंसाने कि धमकियां देने लगे और कहते कि ये लोग ही फैसला नहीं करने दे देते परन्तु वो उसकी गीदड़ भभकियों से नहीं डरे |
        सभी आदमियो के भाग  जाने और बड़े के साले को जेल भेजने के बाद तो व्यापार भी चौपट हो चुका था क्योँकि कोई अब काम करने वाला ही नहीं था ,बैंक का ब्याज वगैराह भी चढ़ने लगा ,हालात ख़राब होते जा रहे थे जिसे देख देख कर ये लोग घर में दीवालियाँ मना रहे थी और सभी पड़ोसियों के घर  घर जाकर नई नई कहानी सुनाते और दिखाते कि वो तो फैसला करना चाहते हैं पर वो  खुद ही नहीं करता अब तो जब तक हमारी बात नहीं मानेगा जेल में ही सड़ेगा और पता नहीं क्या क्या कहते ,पर कोई भी उनकी बातों में आनंद नहीं लेता था क्योँकि वो सभी उसकी फितरत को जानते थे ,फिर उसने लड़कियों पर लड़ाई झगडे और पता नहीं किस किस भांति कि झूठी सच्ची बाते लांछन लगा लगा कर पुलिस केस दर्ज करवाने कि भी कोशिश कि और घर में बच्चों के साथ मारपीट तो आम बात हो गई ,बच्चों पर झूठा चोरी का केस बनवाने कि भी कोशिश कि ,और तो और लड़कियों के पीछे गुंडे लगा दिए ,जहां वो सर्विस करती थी वहाँ जाकर शिकायते करने लगे और बताते कि इनका बाप जेल में पड़ा है ,आप इनको मत रखिये और नौकरी से जितनी जल्दी हो सके हटा दीजिये ,ऐसा वो इस लिए कर रहा था कि यदि पैसे से ही दुखी  होंगी तो और जल्दी उसकी बात मानेंगे ,उनको यहां तक बोल दिया कि जेल में उसके बहुत जानने वाले गुंडे ,मवाली है जिनसे मैं उनके बाप को जेल में ही मरवा भी सकता हूँ ,और वहाँ के जेलर आदि भी उसके यार दोस्त हैं ,उनतक उसकी पूछ है वो उसके साथ कुछ भी करा सकता है ,इसी प्रकार डराने धमकाने लगा ,पूरे घर कि निगरानी रखता कि कौन घर में आ रहा है या जा रहा है उनके पीछे खुद या अपने दोनों लड़कों को लगा देता और कहता कि यहां मत आया करो वरना आपके साथ कुछ भी हो सकता है ,पूरा गुंडई राज बना दिया पर कहावत है कि जिसका हो मौला उसका क्या करेगा भोला "फिर बैंक में पहुंचकर उनके साथ नए नए षणयंत्र रचने कि कोशिश करने लगा पर उस वक्त के मैनेजर ने तो उसको मुंह नहीं  लगाया ,
उसके बाद उसने इनकमटैक्स ,सेल टैक्स ,D D A ,M C D ,बैंक के उच्च अधिकारीयों तक को शिकायते कर दी और प्रितिदिन उनसे मिलकर कुछ ना कुछ षणयन्र रचाने लगा उसका एक D D A का प्लाट कैंसिल करा दिया क्योँकि पीछे कोई करने वाला नहीं था और फिर एक डिप्टी डायरेक्टर ने बिना सुनवाई या नोटिस के कैंसिल कर दिया ,उसकी बड़ी बेटी के खिलाफ कोई झूठा कागज लगाकर F I R दर्ज कराने कि कोशिस भी की ,और हो भी जाती यदि उनका कोई रिस्तेदार पुलिस A CP से जाकर ना मिलता और फिर जो होता वो तो भगवन ही जाने |बड़े कि पत्नी और पुत्रियों को तीनो बाप बेटों ने मिलकर रोड पर खड़े करके पीटा और पुलिस स्टेशन जा और इंस्पेक्टर को पैसे चढ़ा कर उलटा उनके खिलाफ ही कलंदरे  बनवा दिए ,पर फिर D C P के आदेश से वो रद्द कर दिए गए |















Friday, March 13, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ७ )

उसके बाद बड़ा किसी की सिफारिस से दिल्ली के सचिव R N SHRMA से मिला ,थोड़ी सी जान पहिचान करने के बाद ,और बड़े किसके द्वारा उनके पास भेजा गया आदि पूछकर उन्होंने काम के बारे में पूछा तो बड़े ने बताया की सिग्नेचर बदलवाने के काम के बारे में बताया की किस प्रकार उसके भाई ने अपने किये सिग्नोर F S L  से बदलवाए तो उन्होंने स्वीकारा की या काम शास्त्री जी की सिफारिस पर उनके द्वारा ही कराया गया था ,और तभी उन्होंने बड़े के सामने ही F SL के तत्कालीन डायरेक्टर MR गोयल से फोन पर बात की और समस्या का समाधान पूछा ,पर उन्होंने उस वक्त ये कहकर मना  कर दिया की अगर हम एक रिपोर्ट को ठीक करेंगे तो हमारे ऊपर सम्पूर्ण ब्लेम आएगा इसलिए वो माफ़ी चाहते हैं ,मना हो जाने के बाद ही उन्होंने बताया की आपका भाई तो केंद्रीय ग्रह मंत्री MR P CHIDMBRAM के पास भी जा चूका है और शायद वहां से एक पत्र E O W को इशू भी हो चूका है यदि आपने गिरफ्तारी से बचना है तो एक या दो दिन में मिल लो ,और उसके बाद बड़े ने पत्र वगैराह तैयार करके तीसरे दिन मिलने जाना था ,परन्तु तभी तीसरे दिन सुबह संजीव त्यागी I O पूरे लव लश्कर यानि की १५ १६ सिपाहियों सहित गिरफ्तार करने आ गए .सुबह का ७ बजे का समय था बड़ा सोकर ही उठा थातो बड़े ने पूछा की इतने पुलिस वाले लाने क्या जरूरत थी तो उसने बताया कि आपके भाई ने कहा था की तुम  क्षेत्र के बहुत बड़े बदमाश हो ,और गुंडे भी पाल रखे हैं कही आपके ऊपर हमला ना कर दें इसलिए पुलिस फ़ोर्स लेकर जाना
फिर बड़े ने I O से बात की तो उसने कहा की E O W उसको गिरफ्तार करना नहीं चाहती थी पर तुम्हारे भाई के द्वारा ग्रह मंत्री के पत्र के कारण मजबूरी में आपको उठाना पड़ रहा है और बोला की हम मजबूर हैं यदि आपको नहीं उठाया तो E O W के स्टाफ पर परेशानी आ जाएगी हलाकि हम सब और D CP OR A C P सभी जानते है कि ये मकान आपका ही है और आपपर झूठा केस जबरजस्ती बनवाया जा रहा है पर हमारी सरकार के सामने नहीं चल सकती इसलिए आप गिरफ्तारी हेतु तैयार हो जाओजिस वक्त बड़े ने गिरफ्तारी दी उस वक्त उसका भाई पड़ोसियों के घरों की काल बेल्ल बजकर बुला रहा था की देखो चौहान साहब गिरफ्तार हो रहे हैं ,परन्तु कोई भी उसके बुलाने पर नहीं आया क्योँकि वो सभी बड़े को भली भांति जानते थे इस को भी ,
इसके बाद चाय पानी पीने के बाद बड़ा खुद ही पुलिस की गाड़ी में जाकर बैठ गया और बाकी सभी पुलिस वाले चले गए और पुलिस बड़े वाले को लेकर पहले थाना रानी  बाग़  ले गई  वहां पर एक एप्लीकेशन पूरे ब्यौरे की बड़े से लिखवाई और उसके बाद उसेमेडिकल हेतु महाबीर अस्पताल ले जाया गया जहाँ उनका मेडिकल हुआ ,उसके बाद  थाना अशोक विहार ले गए ,वहां उन्होंने उनका डोसियर तैयार करवाया और फिर ले गए रोहिणी कोर्ट वहां अश्विनी कुमार इस दी एम के सामने पेश किया और वहां पहले ही बड़े के भाई ने ४ वकील खड़े कर रखे थे और बड़े के भी २ वकील थे जिन्होंने अश्विनी कुमार जी से बहुत कुछ कहा पर उसने अनसुनी कर के रोहिणी जेल भेजने का आर्डर कर दिया ,और अब शाम के ५ बज चुके थे तो I O संजीव त्यागी बड़े को अपनी ही गाडी से जेल ले गया और छोड़कर अपने घर चला गया |

Sunday, March 8, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ६ )

अब तो उसने बड़े और उसके परिवार को तरह तरह से प्रताड़ित करने लगा कभी बड़े का पीछा करना कभी उसकी लड़कियों का पीछा करना और बदमाशों को उन सभी के पीछे लगा दिया पर जिस पर ईश्वर की कृपा हो और सच्चा हो कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,आखिर तंग होकर बड़े ने सभी रिस्तेदार ,उसके और अपने दोस्त सबको बुलाया ,और मीटिंग्स की ,सभी ने उसे हर तरीके से समझाया की कुछ ले देकर भाई घर छोड़ दे परन्तु उसने सभी को धता बता दिया और जिसने भी समझाया  उसी  पर आरोप लगाता की शायद वो बड़े से कुछ माल खा रहा है ,अंत में पूरे समाज की मीटिंग बुलाई पर कोई नतीजा नहीं निकला ,उलटा पूरा मकान ही कब्जाने की धमकी देने लगा ,अंत में दुखी होकर बड़े ने कहा की अभी तक तो वो तुझे दे रहा था पर अब ना तो उसको एक रुपया ही देगा और नाहीं इंच भर जमीन ,और जो करना हो वो कर ले ,
इसी प्रकार २ साल यानी की सं २००५ और २००६ भी लड़ाई झगड़ों में ही बीत गए ,और फिर बड़े ने एक बोल्ड स्टेप उठाया की उसने मकान को फ्री होल्ड (रजिस्ट्री )करवाने की अर्जी लगा दी क्योँकि अब सर्किल  रेट और बढ़ने वाले थे ,आखिर २००६ के अंत में फ्रीहोल्ड हो गया ,तभी बड़े के बैंक का मैनेजर बोला की आप अपनी लिमिट आदि बनवा लो ताकि बिज़नेस करने में सुविधा हो जायेगी और काम भी ज्यादा करेंगे ,ईश की कृपा से २००७ मार्च में ४० लाख की लिमिट बड़े की फर्म के नाम सेक्शन हो गई और फिर उसने काम जोर शोर से  करना शुरू कर दिया बहुत काम होता देखकर बीच वाले और छोटे की आँखे फैलने लगी और फिर उन्होंने इधर उधर सूंघना शुरू कर दिया और एक दिन किसी बैंक के व्यक्ति ने उसे लिमिट के बारे में बता दिया ,फिर तो वो मानो पागल हो गया और पागलों जैसी हरकते भी करने लगा ,
फिर वो फ्रीहोल्ड  को कैंसिल कराने के प्रयत्न करने लगा और कोशिश सिफारिस कर उसने बड़े बड़े नेताओं जैसे P M  मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ,जैसे नेताओं के और मंत्रियों अर्जुन सिंह जी आदि के सिफारिशी पत्र लगाकर कैंसिल कराने में कामयाब हो गया ,और फिर एक दिन बड़े को फ्रीहोल्ड कैंसिलेशन का लेटर आ गया और फिर उसने बड़े और उसकी पत्नी और साले  के नाम की F I R  shastri जी की सिफारिस से एक दिल्ली सरकार के संयुक्त सचिव R N शर्मा के करकमलों के द्वारा F S L को प्रभावित कर नेगेटिव रिपोर्ट बनवा ली ,की वो साइन उसके नहीं है ,रिपोर्ट आने के बाद बड़े ने L G साहब से मिल कर उसके साइनों को किसी और लेब में भेजने को कहा और वो मान गए फिर वो रिपोर्ट पहले रिपोर्ट के साथ शिमला लेब  भेजी गई जहां फिर वो ही R N शर्मा की और मंत्री जी की सिफारिश काम कर गई और रिपोर्ट फिर नेगेटिव आ गई ,
और अब E O W ने अपनी कार्यवाही शुरू की और वो  कोर्ट  गए जहा कितनी ही सुनवाई होने के बाद जब उसका मन मर्जी जज आ गया जहां सिफारिश काम आई और जज ने बड़े और उसके साले की बैल अर्जी कैंसिल कर दी और उसकी पत्नी को बेल दे दी ,परन्तु इसके बावजूद भी E O W वालों ने बड़े को गिरफ्तार नहीं किया और  नाही उसके साले को भी ,बल्कि उसके बाद बड़े वाले उस समय के एडिशनल कमिश्नर को मिला तो उन्होंने गिरफ्तारी से मना कर दिया ,उन्होंने कहा की ब्लड रिलेशन में वो किसी को गिरफ्तार नहीं करते ,और उन्होंने बीच वाले को भी मना कर दिया तो फिर बीच वाल कुछ सिफारिशें लेकर तत्कालीन गृहमंत्री P ,CHIDMBRAM और उनके सेक्रेटरी A K SIGH  से मिला और एक लेटर E O W को बड़े वाले की  गिरफ्तारी हेतु भिजवाया |

Sunday, March 1, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ५ )

इन सभी बातों को लेकर कुछ झगड़ा फसाद भी हुआ क्योँकि उनसे पूछा गया की दसों वर्षों से आप लोग काम कर रहे हो और आज तक आपने कभी कहीं भी कोई खर्चा नहीं दिया तो तुम्हारा पैसा कहाँ गया ,कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था ,पर उसको पता था की सब अपनी अपनी  पोटलियाँ बना रहे थे ,तो उसने सोचा कि चलो घर का माल घर में ही है कोई बात नहीं ,पर अब सब भाई एक साथ नहीं रह सकते थे ,इसलिए अलग होने का निश्चय किया जिसके पास जो भी था सब छोड़ दिया गया और जो मकान  बचा था उसके कागज उन लोगों से अपने हक़ में करा लिए और बड़ा वाला यद्द्य्पी खून का घूँट पीकर रह गया ,पर फिर भी खुश था कि चलो इज्जत तो बची  रही ,कोई बात नहीं पैसा तो और भी कमा लेंगे ,पर भविष्य का किसी को क्या पता ,
सब अलग अलग होकर अपना अपना काम करने लगे और इसी प्रकार ३ वर्ष बीत गए ,तो बड़े ने दोनों छोटे भाइयों से मकान खाली कर जाने के लिए कहा क्योँकि वो मकान को ऊपर के दो हिस्से बनाकर कुछ किराये कि आय बनाना चाहता था ,तो छोटा तो थोड़ा रो पीट या लड़झगड़ और कुछ धन लेकर चला गया ,और बीचवाला तो किसी भी तरह जाना नहीं चाहता था ,इसलिए वो बड़े से लड़ने पर आमादा हो गया ,मार पीट पर उतारू हो गया यहाँ तक कि उसने बड़े भाई पर हाथ और घूंसे तथा लातों से प्रहार भी किये और साथ के साथ मारने तक कि जेल भेजने तक कि धमकियां तक दे डाली ,अब मरता क्या नहीं करता ,फिर चुप लगा गया ,
इसी प्रकार ५ वर्ष और बीत गए फिर उसे खाली करने के लिए कहा तो उसने करोड़ों रूपये कि डिमांड भी खड़ी कर दी ,पर बड़े के पास पैसे कहाँ वो तो किसी प्रकार अपना काम करके इज्जत बचने के साथ अपने बच्चों को कान्वेंट स्कूल में उनकी शिक्षा पूरी करवा रहा था ,उसके कोई लड़का भी नहीं था मात्र ३ पुत्रियां थी जिसके कारण भी उस वक्त भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा था ,
फिर हाथ वाथ जोड़े भाई हमारे हाल पर रहम कर पर उसने तो उसे चेतावनी ही दे दी कि या तो आधी  कोठी दे दो ,नहीं तो पूरी कि पूरी ही लेकर रहूंगा ,और उसे किसी ना किसी प्रकार दुखी करने लगा क्योँकि अब उसने फैक्ट्री आदि बेच बैच कर प्रॉपर्टी डीलर का धंधा शुरू कर दिया तो अब तो वो नेता के साथ बदमाश भी बन चुका था ,ये २००० कि बात है उस दिन अखिल भारतीय राजपूत कल्याण संगठन का समारोह चल रहा था तो उसने विघ्न डालने के लिए एक मशीन जो लगभग ५० हजार की होगी उसको जानपूछ्कर कोठी के पिछले गेट से चोरी चोरी निकालकर बेच दी ,उसके फिर प्यार से कहा गया तो उसने फिर गिरहबान पर हाथ डाल दिया ,अब वो बड़ा बेचारा क्या करे पुलिश भी उसीकी सुनती चूँकि वो तो छोटा मोटा नेता था और अच्छी पार्टी से जुड़ा हुआ था जिसका देश पर पिछले ५० सालों से राज्य था प्रितिदिन पुलिश से परेशान करवाने लगा कभी सरकारी दफ्तरों जैसे इनकम टैक्स ,सेल्स टैक्स ,दिल्ली विकास प्राधिकरण हाउस टैक्स ,बिजली विभाग ,आये दिन कंप्लेंट करता रहता था ,यानिकि वो बड़े को बर्बाद करने पर तुला था इसी प्रकार ५ साल और बीत गए यानी कि २००५ आ गया |





















Friday, February 27, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ४ )

और उसके बाद उसने अपनी शादी भी कर ली जो की काफी धूम धाम से की थी ,उसके बाद उसने अपने सम्पूर्ण परिवार को भी दिल्ली बुला लिया जिनमे एक माता जी दो भाई और एक छोटी बहन भी थी अपनी शादी के एक रश बाद अपनी छोटी बहन की शादी भी बहुत धनाढ्य परिवार में कर दी ,और उसके दो साल बाद बीच वाले भाई की शादी भी कर दी और ,उसके कुछ समय बाद एक बड़ी सी फैक्टरी भी लगा ली और उसका मालिक बीच वाले भाई को बना दिया और एक शॉप और खोली जिसका मालिक छोटे भाई को बना दिया ,और वो खुद उसी पहले वाले व्यापार को करता रहा ,और फिर उच्च शिखर पर पहुँचने की लालसा और और माथे पर गरीबी के लगे धब्बे को छुड़ाने के लिए समाज में नाम करने और अति इज्जत ,मान सम्मान पाने के लिए अपने छोटे बीच वाले भाई को नेता बना दिया और उसको चुनाव फाइट करा दिया ,जिसमे उसको अच्छी खासी वोटें मिली पर जीत ना सका ,पर चुनाव के बाद उसके दिमाग में फितूर घुश गया और अपने आपको किसी मंत्री से कम ना समझने लगा ,
उसी समय में उसने रहने के लिए कुछ मकान भी बनाये जिनमे से एक मकान बीच वाले को और एक मकान छोटे वाले के लिए भी बनाया ,और सभी ने कार आदि भी खरीद ली और मजे करने लगे और फिर छोटे की भी शादी कर दी ,अब शादी के बाद वो भी टेड़ा सा रहने लगा ,और दोनों के साथ साथ माँ भी टेडी हो गई और अब उन तीनों की खिचड़ी पकने लगी और तीनों ही उसके विरुद्ध हो गए और  विरुद्ध होकर भांति भांति के षड्यंत्र रचने लगे और अंदर अंदर उसको खोखला करने लगे ,यहां तक की उसका रुपया पैसा ,मकान दूकान भी हड़पने लगे और यहां तक की जो मकान आदि उसने बनाये थे सबको अपना अपना कहने लगे .और जो कुछ भी बड़ा भाई कहता वो सबकुछ उसके विरुद्ध ही करते थे जिसके कारण लोगो और व्यापारियों में गलत  संदेश जाने लगा और बड़ा भाई टेंसन में रहने लगा और अपने काम को भी सुचारू रूप से ना कर पाटा ,जिसके कारण बाहर बड़ा घाटा  उठाना पड़ा और जिसके लिए दोनों भाई ही दोषी थे क्योँकि दोनों ने ही गोदामों में चोरी ,बैंको में हेरा फेरी घर में भी जो मिलता उसको पार कर लेना ,यानी की भांति भांति से घाटा होने लगा ,बाको खर्चे सभी बड़े के सर और इनकम सब अपने अपने घर ले जाते ,इस कारण वो दिन प्रितिदिन पैसे वाले होते गए और बड़ा नुक्सान ,खर्चे उठा उठा कर दिनप्रीतिदिन गर्त में जाने लगा ,और फिर एक दिन घाटे का नाम सुनकर सभी अपने अपने बर्तन तक उठाकर जाने लगे ,बोलना बंद कर दिया ,यानी सभी प्रकार से दुश्मन बन गए ,और जब उनसे हिसाब माँगा तो दोनों में से किसी ने भी नहीं दिया ,और बड़े को बेवकूफ और खुद को खुदा समझने लगे ,
अब बड़े की हालत ये हो गई थी पूरा घटा भरने के बाद उसके पास मात्र एक बड़ा सा मकान बचा ,और बाकी सब कुछ समाप्त परन्तु मान सम्मान बरकरार रहा ,इसलिए भगवान की कृपा से वो दोबारा खड़ा हो गया और पहले की भांति ही धंधा करने लगा |










 

Thursday, February 26, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ३ )

जिस शॉप पर वो काम करता था अचानक उसके मालिक की तबियत खराब रहने लगी और उसे नौकरी छोड़नी पडी ,परन्तु तब तक उसने प्लास्टिक रॉ मेटेरियल सेल परचेस का काम भलीभांति सीख लिया ,तो उसने सोचा की अब उसके पास जो रूपये हैं उनसे ही वो थोड़ा थोड़ा यही व्यापार करता रहेगा और फिर भी नौकरी से तो ज्यादा ही कमा लेगा ,अभी वो योजना ही बना रहा था कि तभी उसके पास पहली शॉप के मालिक के भाई उसके घर आये और बोले कि तुम मेरे साथ मिलकर काम कर लो फिर प्रॉफिट आधा आधा है ,ऑफिस खली पड़ा है और कितने पैसे चाहिए बोलो ,
उसने कहा कि ठीक है और मात्र १ लाख रुपया उनसे और ले लिया ,और व्यापार शुरू कर दिया ,भगवन कि ऐसी कृपा हुई कि काम दिन दुगुना रात चौगुना होने लगा और पूरी दिल्ली में एक दिन उसकी तूती बोलने लगी और देखते ही देखते उसकी गिनती दिल्ली के बड़े बड़े व्यापारियों के साथ होने लगी ,और खूब धन कमाने लगे ,और फिर आधा आधा पार्टनर सहित बाँट लेते  जब उसका व्यापार सुदृढ़ हो गया तो वो भी थोड़ा रसिक मिजाज होने लगा और कभी कभी मदिरा पान भी करने लगा ,
तभी उसकी जिंदगी में एक लड़की भी आई जिसके साथ उसके प्यार कि पेंगे बढ़ने लगी ,घूमना फिरना ,सिनेमा होटल जाना होने लगा और दोनों ने एक साथ शादी तक करने कि कस्मे खाई ,कस्मे तो खा ली पर उसका दिल गवाही नहीं देता था क्यो नकी वो लड़की उसकी जाति बिरादरी कि नहीं थी ,इसलिए वो कसम खाने के बावजूद भी उससे शादी करनी नहीं चाहता था क्योँकि वो सोचता कि इस लड़की से शादी के बाद उसका असर परिवार पर कितना पडेगा ,और ऐसा सोचकर उसकी रूह फ़ना हो जातीं,
और तभी उसके लिए दिल्ली से ही एक लड़की का रिश्ता आया जो कि उसीकी बिरादरी की थी ,तो घर वालों के दवाब देने के कारण उसने उस दूसरी लड़की से शादी करने का फैसला ले लिया और फिर शादी का दिन भी निश्चित हो गया ,और जिस दिन उस पहली वाली लड़की को पता लगा तो उसने अपने मकान कि छत से कूदकर आत्महत्या करने कि कोशिश कि परन्तु उस बड़े का  अच्छा भाग्य और भगवान कि मर्जी से वो आत्महत्या ना कर सकी जिसके कारण एक बार फिर प्रेम में गूढ़ता आने लगी परन्तु अपने कुल और खानदान को बचाने हेतु शादी ना हो सकी ,और आज तक वो दोनों उस दिन के बाद कभी किसी फंक्सन में मिल भी जाते तो मात्र मुस्कराहट और कनखियों से ही बात होती बाकि कुछ नहीं ,|

Tuesday, February 24, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट दो )

इसके बाद तो उसको काम करने का एक जनून सा हो गया और उसे जो भी काम मिला वो करता रहा जैसे पेट्रोल पम्प पर  ,राशन की दूकान पर ,राशन कार्ड फ़ार्म भरकर ,परचून की दूकान पर ,रेलवे के वेगन से पत्थर तक अनलोड किया पर खली नहीं रहा और जो भी पैसा कमाया उसमे से अपने खाने के पैसे रखकर बाकी पैसा अपने गाँव माँ ,भाई बहन के लिए भेज देता और जब काम नहीं मिलता तो अपना खून देकर भी पैसा घर भेज देता और अपने छोटें भाई बहनों को पढ़ने से नहीं रोका ,इसी प्रकार संघर्ष चलता रहा और उस समय में उसने एक १० रुपया माह पर किराये का कमरा भी ले लिया था जिसमे रहता यद्यपि उससे पहले तो वो कभी किसी दोस्त या गाँव वालों के साथ रह लेता था या फिर किसी भी दूकान के चबूतरे पर रात काट लेता और फिर रेलवे के क्वार्टर्स में बने बाथ रूमों में जाकर फ्रेश हो जाता था .
उस समय में उसकी जान पहिचान बहुत से क्रिमिनल लड़कों से भी हुई परन्तु उसने कभी भी उस रास्ते को नहीं चुना और वो नियमित काम ढूंढता और जो भी काम मिल जाता वो ही कर लेता ,उसी दौरान उसकी जान पहिचान एक अच्छे व्यक्ति से भी हुई जिनका नामराधाचरण  शर्मा था ,उन्होंने उसकी बहुत सहायता की और वो भी सभी प्रकार से यानी की तन मन धन और रोटी पानी ,उनकी पत्नी भी बहुत ही समझदार और परोपकारी थी वो भी निस्वार्थ सेवा करने में माहिर थी उनको वो भाबी कहकर सम्बोधित करता था ,शर्मा जी एक लकड़ी पत्थर की दूकान पर काम करते थे ,उनके मालिक का एक दोस्त के एल अरोरा जी थे ,तो शर्मा जी ने अपने मालिक से कहकर उसकी नौकरी उनकी दूकान पर लगवा दी जिस पर अरोरा साहब का व्यापार प्लास्टिक दाने का था ,उन्होंने उसको १५० रुपया माह पर अपनी शॉप पर मुनीम जी रख लिया ,अब वो बहुत ही लगन के साथ अपना काम करता और साथ के साथ प्लास्टिक दाने का काम कैसे किया जाता था सीखता भी रहा क्योँकि वो नौकरी नहीं बल्कि अपना खुद का व्यापार करना चाहता था | और इस प्रका कार्य करते करते उसने वो काम भली भांति सीख लिया और अब तक उसकी तनखा भ ५०० रुपया हो चुकी थी और साथ  में कुछ पार्ट टाइम एकाउंट्स का काम भी पकड़ लिया जिससे वो अपना और घर वालों का गुजारा भली भांति हो जाता था और कुछ रुपया लगभग १५००० तक जोड़ लिया था |

Monday, February 23, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची( पार्ट एक )

एक बहुत बड़ा ग्राम ,बाराबस्ती ऒर उसके मुखिया थे कुंदन सिंह मुकद्दम ,सभी प्रकार से खुश ,धन सम्पत्ति बागान  पशुधन सब कुछ तो उनके पास था ऒर एक वारिस भी था ,जो काम नहीं बल्कि पहलवानी ,ऒर जुआ खेलने का आदि ,दिन हो या रात जुए की लत पूरी करते थे ,
कुछ समय बाद मुकद्दम जी का निधन हो गया ऒर उनके वारिश सर्वे सर्वा हो गए अब तो उनको जुए के सिवाय कुछ भाता ही नहीं था ,पत्नी के मना करने के बावजूद वो जुआ नहीं छोड़ते थे ,ऒर इसी शौक में उन्होंने अपनी सम्पूर्ण धनसम्पत्ति ,बागान ऒर जायदाद सबकुछ खत्म कर दिया ऒर कंगाल हो गए ,तब तक उनके चार बच्चे भी पैदा हो चुके थे ऒर टोटल जमा पूँजी ऒर जमीन बची थी गाँव में एक मकान ऒर जंगल में तीन बीघा जमीन ,
घर में पति पत्नी में रोजाना झगड़ा होने लगा की बच्चों का लालन पालन कैसे हो ,पत्नी समझती पर उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंगती ,कहावत है की जुए की लत आदमी को कहीं का ऒर किसी का भी नहीं छोड़ती ,आखिर वो एक दिन घर छोड़कर कहीं चले गए ,
अब सम्पूर्ण जिम्मेदारी उनकी पत्नी पर आ गई ,जो ओरत कभी घर से नहीं निकली अब उसे जंगल में काम करने जाना पड़ता ,पर किसी तरह से गिरपद ,म्हणत मजदूरी करके चारों बच्चों का लालन पालन के साथ साथ पढ़ा भी लिया ,बड़े लड़के ने १२ विन कक्षा का पास की ऒर बाकी बच्चे भी पढ़ रहे थे ,बड़ा लड़का अपने घर की हालत से पूर्णत:वाकिफ था ,वैसे भी गाँव का कोई भी आदमी उनको गरीब कहकर सम्बोधित करता तो उसके तन बदन में आग लग जाती ,इसलिए वो गाव छोड़कर दिल्ली आ गया ,
ऒर दिल्ली आकर उसने काम ढूंढ़ना शुरू किया परन्तु काम ही नहीं मिलता था तो जो भी छोटी मोंटी
 मजदूरी मिलती अपना पेट भरने के लिए  वो ही करने लगा किसी प्रकार महीने में ५० या १०० रूपये कमा लेता तो वो सब खर्च हो जाते फिर भी किसी तरह जोड़तोड़ कर ४० या ५० रुपया घर भेज देता जिससे कुछ सहारा  घर वालों को लग जाता ,गेहूं ,मकई आदि आपने खेत से मिल जाती थी बस किसी तरह घर वाले पेट भर लेते थे ऒर किसी तरह स्कूल की फीस आदि चूका देते थे ,
पर एक बार बारिस बहुत हो गई ,खेत बोया हुआ थी सब बीज बाज ख़राब हो गया तो दोबारा खेत बोन को पैसों की जरूरत थी ऒर घर में पैसे थे नहीं ,तो घर से एक छिट्ठी ऒर सारी परेशानी उसमे लिखी ,मैंने चिट्ठी पढ़ी ऒर असमंजस में आ गया की अब क्या होगा बड़ा ये ही सोचने लगा ,तभी वो अपने किसी मित्र के साथ कनॉट प्लेस गया तो वहां पर एक जगह लिखा था की आप अपना खून यहां दे सकते हैं ,शायद वो मद्रास होटल के आस पास था ,
रात को घर आकर सोचने लगा की यदि पैसे नहीं भेजे ऒर खेत नहीं बूवेगाऒर यदि खेत नहीं बुआ तो अगले ६ महीने तक घर वाले क्या खाएंगे ,अत:उसने खून देकर आना तय किया ऒर अगले दिन जाकर २०० रूपये का खून बेचा ऒर उसमे से १५० रुपया अपने गाँव भेज दिया ऒर पचास अपने खाने हेतु रख लिए ,