Monday, November 11, 2013

नेता चुनाव के वक्त

एक बहुरुपियामें 
धूर्त बेईमान
असभ्य क्रूर
सभ्य नागरिक कि भाषा में
अपने दुर्गुणों का बखान
सद्गुणों  में प्रवर्त कर
त्यागियों जैसा बोध
जनता जनार्दन पर
अभिमंत्रित कर रहा है
शासन करने हेतु
अपने लक्ष्य को
मीन कि नैन बना
तन से श्याम
ह्रदय से कलुषित
इच्छाओं में सर्वोपरि
खाने  के दांतों को
मुख में छिपा
दिखाने के दांतों से
हंस हंस कर
सफ़ेद हाथी बना
दया कि भीख मांग
जनता जनार्दन से
अधिकार छीनने का
प्रयत्न कर रहा है |