Monday, June 8, 2015

स्त्री का वर्चस्व पुरुष के समक्ष नगण्य क्योँ ?

स्त्री का वर्चस्व २१ वीं शताब्दी में भी पुरुष के समक्ष नगण्य है आखिर क्योँ ?
कोई भी पुरुष गरीब से गरीब और अमीर से अमीर ,बिना दहेज़ के किसी भी लड़की से विवाह करने को तैयार नहीं है क्योँ ?
यदि लड़का इंजीनियर ,I A S या I P S या I R S  है तो उनके रेट भी करोड़ों में तय हैं चाहे लड़की भी इन्हीं रैंक्स की क्योँ ना हो क्योँ ?
बहुत  सारा दहेज़ देने के बावजूद भी लड़की को पैर की जूती समझा जाता है क्योँ ?
दहेज़ लाने के बाद भी ससुराल में उससे नौकरों जैसा व्यवहार होता है  क्योँ ?
उनसे घर  का काम काज भी जानवरों की भाति लिया जाता है क्योँ ?
उनको ससुराल में प्रताड़ित किया जाता है क्योँ ?
आज देश में ९३ % स्त्री आत्महत्या के केस मात्र दहेज़ को लेकर होते हैं क्योँ ?
इस  सबके बावजूद आज तक देश में  दहेज़ रोकने का कानून  तो बना परन्तु उसको असली  जामा नहीं पहनाया गया क्योँ ?
क्योँकि जिन लोगों की सरकार है या जो सरकारी पिट्ठू हैं उनके पास अथाह धन है और वो अपनी बेटियों की शादी में अचूक धन व्यय करते हैं ,उनके लिए गरीब कन्या या स्त्रियों का कोई महत्त्व नहीं है ,
यदि ये ऐसे ही चलता तो वो दिन दूर नहीं है जब की हर घर के बेटी को आत्नहत्या का सामना करना पडेगा क्योँकि आप चाहे कितना ही दहेज़ दे दो परन्तु उन दुर्जनों का पेट नहीं भरता |
कायदे से तो न्याय प्र्णाली के तहत शादी मात्र रजिस्ट्रेशन से हो जानी चाहिए ,फिर देखिये देश कैसे उन्नति करता है
क्योंकि आधी जिंदगी तो व्यकि की चाहे वो व्यापारी हो या किसान अथवा सरकारी नौकर या साधारण व्यक्ति ही क्योँ न हो अपने बच्चों की शादी के लिए धन एकत्रित करने में ही लग जाता है ,फिर वो तरक्की क्या करेगा खाक ,वो सिसकता ही रहता है |






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