मित्रो २९ अप्रैल को मेरे साथ एक घटी ,मैं उस दिन रात्रि फार्म हाउस में शादी में गया था ,अचानक मुझे कोई पूर्व परिचित नजर आया ,और मैं वहां की परिस्तिथियों को नजरं अंदाज कर उस व्यक्ति से मिलने हेतु तेजी से भागा ,और वो भी जमीन को देखे बिना , जब कि वहां कुछ केबल्स पड़े हुए थे ,जिनमे मेरा एक पैर अटक गया और जैसे ही सम्भला तो दूसरा पैर भी अटक गया जिसका परिणाम ये हुआ की मैं मुंह के बल जमीन पर गिर गया ,यद्दीपी मुझे वहां खड़े व्यक्तियों ने फटाफट उठा लिया और चोट भी नहीं लगी ,
जैसे ही मुझे कुर्सी पर बिठा दिया तो मैंने कुछ खुसर पुशर सुनी ,कोई कह रहा था ,पी राखी होगी ,तो कोई कह रहा था यार कुछ लोग फ्री का माल समझकर ज्यादा ही पी जाते हैं ,एक कह रहा था यार आदमी तो शरीफ घराने का लगता है ,तो दुसरे ने कहा कि यार आजकल बड़े घराने वाले ही तो ज्यादा पीते हैं ,तो एक बोला यार लड़की की शादी है और वो भी राधा स्वामियों की जिनके यहां दारु का इंतजाम नहीं होता ,दूसरा बोला यार घर से पीकर आया होगा ,
तभी मेरा एक जान्ने वाला भी आ गया तो वो देखकर बोला क्या हो गया चौहान साहब ,तो एक बोला यार इन्होने लगता है ज्यादा पी ली होगी सो गिर गए ,वो बोलम भाई मई इनको बरसों से जानता हूँ ये कभी शररब तो छोडो पानी भी छानकर ही पीते हैं ,
खैर मैंने कहा भाई इनको कहने दो जो भी कह रहे हैं ।
तो मित्रों मेरा कहने तातपर्य ये है की जल्दी का काम शैतान का और परिस्तिथियों को जाने या देखे बिना मुंह ऊपर को ऊंट की तरह चलने का परिणाम आपने देखा और मेरी ज़रा सी गलती के लिए लोगों ने कितनी बातें बना दी ।
इसलिए अब आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है की जो गलतियां मैंने की और उसका खामियाजा भी उठाया ,ऐसी गलतियां आप भविुष्य में ना करें जिसके कारण मेरी तरह आपको भी लज्जित ना होना पड़े और लोगों की बातें भी ना सुन्नी पढ़ें
जैसे ही मुझे कुर्सी पर बिठा दिया तो मैंने कुछ खुसर पुशर सुनी ,कोई कह रहा था ,पी राखी होगी ,तो कोई कह रहा था यार कुछ लोग फ्री का माल समझकर ज्यादा ही पी जाते हैं ,एक कह रहा था यार आदमी तो शरीफ घराने का लगता है ,तो दुसरे ने कहा कि यार आजकल बड़े घराने वाले ही तो ज्यादा पीते हैं ,तो एक बोला यार लड़की की शादी है और वो भी राधा स्वामियों की जिनके यहां दारु का इंतजाम नहीं होता ,दूसरा बोला यार घर से पीकर आया होगा ,
तभी मेरा एक जान्ने वाला भी आ गया तो वो देखकर बोला क्या हो गया चौहान साहब ,तो एक बोला यार इन्होने लगता है ज्यादा पी ली होगी सो गिर गए ,वो बोलम भाई मई इनको बरसों से जानता हूँ ये कभी शररब तो छोडो पानी भी छानकर ही पीते हैं ,
खैर मैंने कहा भाई इनको कहने दो जो भी कह रहे हैं ।
तो मित्रों मेरा कहने तातपर्य ये है की जल्दी का काम शैतान का और परिस्तिथियों को जाने या देखे बिना मुंह ऊपर को ऊंट की तरह चलने का परिणाम आपने देखा और मेरी ज़रा सी गलती के लिए लोगों ने कितनी बातें बना दी ।
इसलिए अब आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है की जो गलतियां मैंने की और उसका खामियाजा भी उठाया ,ऐसी गलतियां आप भविुष्य में ना करें जिसके कारण मेरी तरह आपको भी लज्जित ना होना पड़े और लोगों की बातें भी ना सुन्नी पढ़ें
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