Monday, August 1, 2016

BEVAKOOFI OR AKLMNDEE KA ANTAR

एक बार एक खुले स्कूल में एक मास्टर जी बच्चों को पढ़ा रहे थे तो वो बच्चों को बोले "देखो मै  तुमको गधे से आदमी बनाता हूँ "परन्तु तुम फिर भी मुझे मानसम्मान तक नहीं देते ,
ये बात रास्ते में गधे के साथ जाते कुम्हार ने सुनी तो वो मास्टर जी के पास गया और बोला मास्टर जी आप गधों को आदमी बना देते हो कृपया आप मेरे इस गधे को भी आदमी बना दें तो आपकी मेहरबानी होगी ,
अब मास्टर जी समझ गए की इससे निपटना मुश्किल है क्योँकि ये  मेरी  मतलब ही नहीं समझ सका  इसका मतलब निपट बुद्धू है ,तो मास्टर जी ने कहा ,हाँ मैं इसे आदमी बना दूंगा आप इसे स्कूल में छोड़ जाओ
कुम्हार ने कहा की ठीक है पर ये तो बताओ कितना समय लगेगा इसको आदमी बनाने में ,
मास्टर जी बोले ६ महीने तो लग जायेंगे ,आप ६ महीने बाद आकर ले जाना ,
मास्टर जी ने उस गधे को तो बेच खाया
ठीक ६ महीने बाद कुम्हार ,मास्टर जी को  बोला मैं जो गधा दे  गया था क्या वो आदमी बन गया ,और कहाँ है ?
मास्टर जी बोले भाई वो तो पढ़लिखकर जज बन गया और दिल्ली के बीस हजारी कोर्ट में कमर नंबर २०१४ में लगा हुआ है ,वहां से  ले जाना ,
अब कुम्हार की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और जाते जाते जो दो चार सौ रूपये साथ लाया था वो मास्टर जी को गुरु दक्षिणा में दे गया
और अगले दिन बीस हजारी के कमरा नंबर २०१४ में पहुँच  गया तो अचम्भे  में  हो गया क्योँकि एक बड़ी सी मेज के सामने बड़ी सी कुर्सी पर उसका गधा जज बनकर बैठा था ,
परन्तु कुम्हार को ये बड़ा नागवार गुजरा कि सामने  खड़ा हुआ देखकर उस गधे जज ने उसे आँख उठाकर  देखने के बावजूद भी  ना सलाम और नाहीं बैठने तक को कहा ,तो उसे गुस्सा आ गया और बोले
अबे ओ गधे जज तुझे तेरे   इस बाप ने  एक गधे से जज  दिया और आज तू उसी को भूल गया बेशर्म
अब जज ने उसे बड़े गौर  से देखा जो बोले जा रहा था ,तो उसने मन ही  सोचा की यदि इसे कुछ उल्टा सीधा कहा  से पकड़वा दिया तो ,जो सामने खड़े होकर देख  रहे हैं वो उसके बारे में क्या सोचेंगे ,और जनता में जजों के प्रति गलत मेसेज जाएगा ,इसलिए उसने कुछ बुद्धि से काम लिया
जज साहब कुर्सी छोड़ कर खड़े हो गए और बोले पिताजी मैंने आपको देखा नहीं था आइये आप मेरे पास बेठिये और मैं  चाय पानी  मंगवाता हूँ चाय आदि पीकर कुम्हार बहुत खुश हुआ और बोला बेटा ऐसा मास्टर जी ने तुझे क्या पढ़ाया था जो तू निपट गधे से जज बन गया ,
बातों बातों में जज साहब ने गाँव  स्कूल के बारे में पूछ लिया और बोले पिताजी अब आप घर चले जाओ और कल को मास्टर जी को साथ लेकर आना मैं उनकी भी सेवा करनी चाहता हूँ
 कुम्हार बोला बेटा  ठीक है और अगले दिन वो मास्टर जी को लेकर कोर्ट में पहुँच गया ,मास्टर जी को काटो तो  खून नहीं क्योँकि मास्टर जी समझ गए कि आज तो इस कुम्हार के  बच्चे ने बुरे फंसा दिया ,अब जज तो छोड़ेगा नहीं ,
जज साहब ने जैसे ही मास्टर जी को और कुम्हार पिताजी  को देखा तो फिर कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और मास्टर जी को बोले मास्टर जी मेरे पास आओ और अपने चरण आगे बढाओ मैं उनको स्पर्श करना चाहता हूँ आखिर आपने मुझे ६ महीने में ही गधे से जज बनाकर इस कोर्ट में भेज  दिया ,आपकी प्रशंसा किन शब्दों में करूँ ,इतने होते ही मास्टर जी जज साहब  चरणों में लेट गए और बोले  साहब चरण तो  मुझे  आप अपने स्पर्श  करने दो यदि आपो जैसी समझदारी और पेसेंस मुझमे होता तो आज ये नोबत ना आती ,मुझे माफ़ कर दो सर जी ,आइंदा किसी कुम्हार को ऐसी बात नहीउं बोलूंगा , ये  नाटक जनता देखकर दंग थी ,तो जज साहब ने  मास्टर जी को   कहा की अब  आप सम्पूर्ण कहानी सबको सूना दो ,और मास्टर जी ने सविस्तार कहानी सूना दी ,
सभी लोग जहाँ मास्टर जी  भर्त्सना और कुम्हार की बेवकूफी की  चर्चा कर रहे थे वहीँ जज साहब की तारीफों के पुल बाँध  रहे रहे थे
के पी चौहान

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