Tuesday, March 9, 2010

खराब और अच्छे वक्त की पहचान

एक व्यापारी का दिवाला निकल गया ,अब उसके पास बिजिनेस करने के लिए जमा पूँजी भी नहीं बची ,कुछ दिन तो वो चुपचाप बेठा रहा प़रबिना कमाए घर खर्च भी कैसे चले अत; उसने अपने एक दोस्त दुकानदार से कुछ रुपया मांगने के लिए उसकी दूकान प़र पहुँच गया और अपनी बात बताकर रुपया उधार माँगा ,उस दोस्त का काम था मुर्गी मुर्गे चूजे ,बेचने का ,अत; उसने दो मुर्गी के चूजी दोस्त को देकर कहा की इन को अपने घर ले जाओ और इनको अच्छा दाना पानी खिलाना मर ना जाएँ ,और बोला की १ माह बाद आ जाना तब देखूंगा वो १ माह बाद फिर लोन लेने पहुँच गया तो उसने पूछा की तुम २ चूजे ले गये थे उनका क्या हुआ ,वो बोला भाई वो तो मर गए ,अच्छा ये लो २ चूजे और ले जाओ और १ माह बाद आजाना ,इसी प्रकार १ वर्ष बीत गया ,चूजे हर बार मरते रहे और वो लोन लेने आता रहा प़र वो दोस्त भी हर बार २ चूजे दे देता ,अब की बार जब वो लोन लेने आया तो उसने पूछा २ चूजों का क्या हुआ तो वो बोला की इस बार तो वो बहुत स्वास्थ्य हैं और काफी बड़े भी हो गए हैं ,तो उसने पूछा की कितने पैसे चाहिए उसने कहा ५००० हजार तो उसने उसको १०००० रुपया दे दिया ,जब वो चला गया तो लाला का नौकर बोला लाला जी पहले तो तुम उसको २ चूजे देकर तारका देते थे प़र आज ऐसा क्या हुआ की उसके ५००० मांगने प़र भी तुमने उसको दस हजार दे दिए ,तो लाला बोला पहले जो चूजे वो जाता था और वो मर जाते थे प़र इस बार के चूजे मरे नहीं बल्कि स्वस्थ है ,तो भैया अब उसका वक्त बदल गया है और अब उसका बिजनेस चल निकलेगा और मेरा पैसा भी नहीं डूबेगा और यदि ये ही पैसा पहले दे देता तो ये भी डूब जाता और साथ में मैं भी ,
नौकर बोला की अब आई समझ में बात

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