Sunday, March 1, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ५ )

इन सभी बातों को लेकर कुछ झगड़ा फसाद भी हुआ क्योँकि उनसे पूछा गया की दसों वर्षों से आप लोग काम कर रहे हो और आज तक आपने कभी कहीं भी कोई खर्चा नहीं दिया तो तुम्हारा पैसा कहाँ गया ,कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था ,पर उसको पता था की सब अपनी अपनी  पोटलियाँ बना रहे थे ,तो उसने सोचा कि चलो घर का माल घर में ही है कोई बात नहीं ,पर अब सब भाई एक साथ नहीं रह सकते थे ,इसलिए अलग होने का निश्चय किया जिसके पास जो भी था सब छोड़ दिया गया और जो मकान  बचा था उसके कागज उन लोगों से अपने हक़ में करा लिए और बड़ा वाला यद्द्य्पी खून का घूँट पीकर रह गया ,पर फिर भी खुश था कि चलो इज्जत तो बची  रही ,कोई बात नहीं पैसा तो और भी कमा लेंगे ,पर भविष्य का किसी को क्या पता ,
सब अलग अलग होकर अपना अपना काम करने लगे और इसी प्रकार ३ वर्ष बीत गए ,तो बड़े ने दोनों छोटे भाइयों से मकान खाली कर जाने के लिए कहा क्योँकि वो मकान को ऊपर के दो हिस्से बनाकर कुछ किराये कि आय बनाना चाहता था ,तो छोटा तो थोड़ा रो पीट या लड़झगड़ और कुछ धन लेकर चला गया ,और बीचवाला तो किसी भी तरह जाना नहीं चाहता था ,इसलिए वो बड़े से लड़ने पर आमादा हो गया ,मार पीट पर उतारू हो गया यहाँ तक कि उसने बड़े भाई पर हाथ और घूंसे तथा लातों से प्रहार भी किये और साथ के साथ मारने तक कि जेल भेजने तक कि धमकियां तक दे डाली ,अब मरता क्या नहीं करता ,फिर चुप लगा गया ,
इसी प्रकार ५ वर्ष और बीत गए फिर उसे खाली करने के लिए कहा तो उसने करोड़ों रूपये कि डिमांड भी खड़ी कर दी ,पर बड़े के पास पैसे कहाँ वो तो किसी प्रकार अपना काम करके इज्जत बचने के साथ अपने बच्चों को कान्वेंट स्कूल में उनकी शिक्षा पूरी करवा रहा था ,उसके कोई लड़का भी नहीं था मात्र ३ पुत्रियां थी जिसके कारण भी उस वक्त भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा था ,
फिर हाथ वाथ जोड़े भाई हमारे हाल पर रहम कर पर उसने तो उसे चेतावनी ही दे दी कि या तो आधी  कोठी दे दो ,नहीं तो पूरी कि पूरी ही लेकर रहूंगा ,और उसे किसी ना किसी प्रकार दुखी करने लगा क्योँकि अब उसने फैक्ट्री आदि बेच बैच कर प्रॉपर्टी डीलर का धंधा शुरू कर दिया तो अब तो वो नेता के साथ बदमाश भी बन चुका था ,ये २००० कि बात है उस दिन अखिल भारतीय राजपूत कल्याण संगठन का समारोह चल रहा था तो उसने विघ्न डालने के लिए एक मशीन जो लगभग ५० हजार की होगी उसको जानपूछ्कर कोठी के पिछले गेट से चोरी चोरी निकालकर बेच दी ,उसके फिर प्यार से कहा गया तो उसने फिर गिरहबान पर हाथ डाल दिया ,अब वो बड़ा बेचारा क्या करे पुलिश भी उसीकी सुनती चूँकि वो तो छोटा मोटा नेता था और अच्छी पार्टी से जुड़ा हुआ था जिसका देश पर पिछले ५० सालों से राज्य था प्रितिदिन पुलिश से परेशान करवाने लगा कभी सरकारी दफ्तरों जैसे इनकम टैक्स ,सेल्स टैक्स ,दिल्ली विकास प्राधिकरण हाउस टैक्स ,बिजली विभाग ,आये दिन कंप्लेंट करता रहता था ,यानिकि वो बड़े को बर्बाद करने पर तुला था इसी प्रकार ५ साल और बीत गए यानी कि २००५ आ गया |





















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