Friday, February 27, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची (पार्ट ४ )

और उसके बाद उसने अपनी शादी भी कर ली जो की काफी धूम धाम से की थी ,उसके बाद उसने अपने सम्पूर्ण परिवार को भी दिल्ली बुला लिया जिनमे एक माता जी दो भाई और एक छोटी बहन भी थी अपनी शादी के एक रश बाद अपनी छोटी बहन की शादी भी बहुत धनाढ्य परिवार में कर दी ,और उसके दो साल बाद बीच वाले भाई की शादी भी कर दी और ,उसके कुछ समय बाद एक बड़ी सी फैक्टरी भी लगा ली और उसका मालिक बीच वाले भाई को बना दिया और एक शॉप और खोली जिसका मालिक छोटे भाई को बना दिया ,और वो खुद उसी पहले वाले व्यापार को करता रहा ,और फिर उच्च शिखर पर पहुँचने की लालसा और और माथे पर गरीबी के लगे धब्बे को छुड़ाने के लिए समाज में नाम करने और अति इज्जत ,मान सम्मान पाने के लिए अपने छोटे बीच वाले भाई को नेता बना दिया और उसको चुनाव फाइट करा दिया ,जिसमे उसको अच्छी खासी वोटें मिली पर जीत ना सका ,पर चुनाव के बाद उसके दिमाग में फितूर घुश गया और अपने आपको किसी मंत्री से कम ना समझने लगा ,
उसी समय में उसने रहने के लिए कुछ मकान भी बनाये जिनमे से एक मकान बीच वाले को और एक मकान छोटे वाले के लिए भी बनाया ,और सभी ने कार आदि भी खरीद ली और मजे करने लगे और फिर छोटे की भी शादी कर दी ,अब शादी के बाद वो भी टेड़ा सा रहने लगा ,और दोनों के साथ साथ माँ भी टेडी हो गई और अब उन तीनों की खिचड़ी पकने लगी और तीनों ही उसके विरुद्ध हो गए और  विरुद्ध होकर भांति भांति के षड्यंत्र रचने लगे और अंदर अंदर उसको खोखला करने लगे ,यहां तक की उसका रुपया पैसा ,मकान दूकान भी हड़पने लगे और यहां तक की जो मकान आदि उसने बनाये थे सबको अपना अपना कहने लगे .और जो कुछ भी बड़ा भाई कहता वो सबकुछ उसके विरुद्ध ही करते थे जिसके कारण लोगो और व्यापारियों में गलत  संदेश जाने लगा और बड़ा भाई टेंसन में रहने लगा और अपने काम को भी सुचारू रूप से ना कर पाटा ,जिसके कारण बाहर बड़ा घाटा  उठाना पड़ा और जिसके लिए दोनों भाई ही दोषी थे क्योँकि दोनों ने ही गोदामों में चोरी ,बैंको में हेरा फेरी घर में भी जो मिलता उसको पार कर लेना ,यानी की भांति भांति से घाटा होने लगा ,बाको खर्चे सभी बड़े के सर और इनकम सब अपने अपने घर ले जाते ,इस कारण वो दिन प्रितिदिन पैसे वाले होते गए और बड़ा नुक्सान ,खर्चे उठा उठा कर दिनप्रीतिदिन गर्त में जाने लगा ,और फिर एक दिन घाटे का नाम सुनकर सभी अपने अपने बर्तन तक उठाकर जाने लगे ,बोलना बंद कर दिया ,यानी सभी प्रकार से दुश्मन बन गए ,और जब उनसे हिसाब माँगा तो दोनों में से किसी ने भी नहीं दिया ,और बड़े को बेवकूफ और खुद को खुदा समझने लगे ,
अब बड़े की हालत ये हो गई थी पूरा घटा भरने के बाद उसके पास मात्र एक बड़ा सा मकान बचा ,और बाकी सब कुछ समाप्त परन्तु मान सम्मान बरकरार रहा ,इसलिए भगवान की कृपा से वो दोबारा खड़ा हो गया और पहले की भांति ही धंधा करने लगा |










 

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