Monday, February 23, 2015

अनोखी कहानी परन्तु सच्ची( पार्ट एक )

एक बहुत बड़ा ग्राम ,बाराबस्ती ऒर उसके मुखिया थे कुंदन सिंह मुकद्दम ,सभी प्रकार से खुश ,धन सम्पत्ति बागान  पशुधन सब कुछ तो उनके पास था ऒर एक वारिस भी था ,जो काम नहीं बल्कि पहलवानी ,ऒर जुआ खेलने का आदि ,दिन हो या रात जुए की लत पूरी करते थे ,
कुछ समय बाद मुकद्दम जी का निधन हो गया ऒर उनके वारिश सर्वे सर्वा हो गए अब तो उनको जुए के सिवाय कुछ भाता ही नहीं था ,पत्नी के मना करने के बावजूद वो जुआ नहीं छोड़ते थे ,ऒर इसी शौक में उन्होंने अपनी सम्पूर्ण धनसम्पत्ति ,बागान ऒर जायदाद सबकुछ खत्म कर दिया ऒर कंगाल हो गए ,तब तक उनके चार बच्चे भी पैदा हो चुके थे ऒर टोटल जमा पूँजी ऒर जमीन बची थी गाँव में एक मकान ऒर जंगल में तीन बीघा जमीन ,
घर में पति पत्नी में रोजाना झगड़ा होने लगा की बच्चों का लालन पालन कैसे हो ,पत्नी समझती पर उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंगती ,कहावत है की जुए की लत आदमी को कहीं का ऒर किसी का भी नहीं छोड़ती ,आखिर वो एक दिन घर छोड़कर कहीं चले गए ,
अब सम्पूर्ण जिम्मेदारी उनकी पत्नी पर आ गई ,जो ओरत कभी घर से नहीं निकली अब उसे जंगल में काम करने जाना पड़ता ,पर किसी तरह से गिरपद ,म्हणत मजदूरी करके चारों बच्चों का लालन पालन के साथ साथ पढ़ा भी लिया ,बड़े लड़के ने १२ विन कक्षा का पास की ऒर बाकी बच्चे भी पढ़ रहे थे ,बड़ा लड़का अपने घर की हालत से पूर्णत:वाकिफ था ,वैसे भी गाँव का कोई भी आदमी उनको गरीब कहकर सम्बोधित करता तो उसके तन बदन में आग लग जाती ,इसलिए वो गाव छोड़कर दिल्ली आ गया ,
ऒर दिल्ली आकर उसने काम ढूंढ़ना शुरू किया परन्तु काम ही नहीं मिलता था तो जो भी छोटी मोंटी
 मजदूरी मिलती अपना पेट भरने के लिए  वो ही करने लगा किसी प्रकार महीने में ५० या १०० रूपये कमा लेता तो वो सब खर्च हो जाते फिर भी किसी तरह जोड़तोड़ कर ४० या ५० रुपया घर भेज देता जिससे कुछ सहारा  घर वालों को लग जाता ,गेहूं ,मकई आदि आपने खेत से मिल जाती थी बस किसी तरह घर वाले पेट भर लेते थे ऒर किसी तरह स्कूल की फीस आदि चूका देते थे ,
पर एक बार बारिस बहुत हो गई ,खेत बोया हुआ थी सब बीज बाज ख़राब हो गया तो दोबारा खेत बोन को पैसों की जरूरत थी ऒर घर में पैसे थे नहीं ,तो घर से एक छिट्ठी ऒर सारी परेशानी उसमे लिखी ,मैंने चिट्ठी पढ़ी ऒर असमंजस में आ गया की अब क्या होगा बड़ा ये ही सोचने लगा ,तभी वो अपने किसी मित्र के साथ कनॉट प्लेस गया तो वहां पर एक जगह लिखा था की आप अपना खून यहां दे सकते हैं ,शायद वो मद्रास होटल के आस पास था ,
रात को घर आकर सोचने लगा की यदि पैसे नहीं भेजे ऒर खेत नहीं बूवेगाऒर यदि खेत नहीं बुआ तो अगले ६ महीने तक घर वाले क्या खाएंगे ,अत:उसने खून देकर आना तय किया ऒर अगले दिन जाकर २०० रूपये का खून बेचा ऒर उसमे से १५० रुपया अपने गाँव भेज दिया ऒर पचास अपने खाने हेतु रख लिए ,



















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