Friday, May 19, 2017

COUNCELLOR

दिल्ली के नगर निगम के कौंसलर की तन्खा ,और आय के स्रोत क्या हैं |
पहली बात तो दिल्ली के किसी भी कौंसलर को सर्कार से कोई सैलरी नहीं मिलती |
कमिटी  की जितनी मीटिंग्स होती हैं उसके ३०० रुपया प्रीति दिन या प्रति मीटिंग उनको मिलता है ,
ये मीटिंग १ महीने में मुश्किल से १० होती हैं इसका मतलब टोटल सरकारी आय ३००० रूपये ओनली
और ये आय उसको कौंसलर बनने के बाद होती है और उसे कौंसलर के चुनाव में जीतने के लिए कम  से कम  ५० लाख से १ करोड़ तक खर्च करना पड़ता है |
अब विषय ये है की क्या कोई व्यक्ति ३००० रूपये कमाने के लिए इतने रूपये क्योँ खर्च करेगा
इसका मतलब वो भ्र्ष्टाचार करेगा ,किसी भी प्रकार से ,फिर कहीं अपना लगाया हुआ रुपया वसूलेगा ,और मजे की बात ये है की सभी पार्टीज ये भली भांति जानती हैं ,फिर वो कैसे भ्र्ष्टाचार रोक सकते हैं इसका मतलब दिल्ली में भाजपा के राज में लगभग ४५००० हजार कर्मचारी फर्जी पाए गए परन्तु न तो भाजपा ने ही कुछ किया और नाहीं कांग्रेस ने ,हाँ केजरीवाल ने सवालिया निशान उठाया तो ये दोनों पार्टी ही उसको खत्म करने में लग गई और केजरीवाल को नगर निगम में नहीं जीतने दिया ताकि उसको भी पता न चल पाए |
अब आप इन कौंसलर की आय के स्रोत देखिये
कौंसलर के क्षेत्र में जितने भी मकान बनाये जाते हैं उनसे वसूली लाखों में नक़्शे या बिना नक्शों के अथवा उलटे सीधे ,कितनी ही मंजिलें ,जितनी मंजिल उतना प्रति मंजिल रुपया लाखों में
नालियों की साफ़ सफाई न के बराबर और खर्चा लाखों में
सरकारी जगहों पर कब्जा करवाना
फर्जी मजदूरों की भर्ती
या ठेकेदार यदि रखे हुए हैं तो उनसे भी कमीशन
और भी बहुत से स्रोत हैं इनके पास रूपये ंबनाने के लिए ,
इसी प्रकार से एक कौंसलर जो मारुती या स्कूटर पर चलता था मर्सिडीज कार में आ जाता है ,और ५ साल के दरम्यान में करोड़ों कमा ले जाता है और फिर अगले चुनाव के लिए भी १ या २ करोड़ अलग से वसूल लेता है
मेरा कहने का तातपर्य है की सरकार ही इनको भ्र्ष्टाचार करने के लिए जिम्मेदार है इसलिए वो इनपर कार्यवाही भी कैसे करे ,वैसे ये कुछ फण्ड अपनी पार्टी को भी देते हैं और अगला अपना टिकट पक्का करने के लिए |

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