हमारा देश बहुत ही शांति प्रिय उनकी है ,यहाँ के बाशिंदे भी बहुत शांति संयम रखने वाले हैं ,जिधर भी निगाहें घुमाओगे आपको शांति शांति नजर आएगी ,देश में महंगाई कितनी ही बढ़ जाये चाहे हम लोग भूख से तड़फते रहें पर शांति नहीं छोड़ते ,चाहे जम्मू कश्मीर में पिछले २ माह से कुछ भी हो रहा पर शांति तो है ना ,उसके बावजूद भी हम धरा ३७० को नहीं छेड़ सकते क्योँकि विश्व शांति दूत का पुरस्कार लेना है ,पाक हमारे कितने ही सैनिक मार दे पर हम उफ़ नहीं करते हां कभी कभार हम भी उनके २ या ४ सैनिक तो मार ही देते हैं फिर भी शांति तो है ही ,अयोध्या मंदिर इसीलिए नहीं बना सकते क्योँकि बिना कारण के ही पता नहीं कितने हिन्दू मुस्लिम भाई मर जायेंगे ,इसलिए शांति ही ठीक है वैसे भी ये मंदिर मुद्दा उत्तर प्रदेश में चुनावों में भी काम आ जाएगा ,"मन्दिर जरूर बनाएंगे पर तारीख नहीं बताएँगे ," बाहर से कला धन हम लाये या नहीफिर भी शांति तो हैं ना वैसे भी पैसा ही सब लड़ाई झगड़ों की जड़ है इसलिए ना आने से शांति तो है ,और इस सभी प्रकार की शांति के लिए हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी धन्यवाद के पात्र हैं जिसे वो शांति पूर्वक मूक रहकर बड़ी शांति से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं ,पिछले ७० वर्षों के शासन को पहला प्रधानमंत्री मिला है जो कभी भी विचलित न होकर कपडे सिलवाने और विदेशों में घूमने में अपना समय बढ़ने में बहुत माहिर हैं ,वास्तव में अब तो उनको विश्व शांति पुरुस्कार मिलना ही चाहिए ।
Tuesday, September 6, 2016
Monday, August 1, 2016
aalochnaa
यदि कोइ आपकी आलोचना करता है तो परेशान मत होइए बल्कि खुश होइए क्योँकि आप में कुछ तो है जो लोग आपकी आलोचना कर रहे हैं ,वरना " लोग तो मरे हुए कुत्ते को भी लात नहीं मारते ।"
यदि आज मोदी जी आलोचना हो रही है तो कुछ ना कुछ तो उस व्यक्ति में या उसके व्यक्तित्व में जरूर है ।
और यदि कांग्रेस और भाजपा पार्टीस केजरीवाल जी की आलोचना करते हैं तो इससे भी यही ज्ञात होता है कि केजरीवाल जी में कुछ ना कुछ तो है जो आज देश की सबसे बड़ी दोनों पार्टीस आलोचना कर ,रही हैं या भयभीत हैं अपने भविष्य को लेकर ,वार्ना तो वही पहली बात वार्ना" लोग मरे कुते को भी लात नहीं मारते "
यदि आज मोदी जी आलोचना हो रही है तो कुछ ना कुछ तो उस व्यक्ति में या उसके व्यक्तित्व में जरूर है ।
और यदि कांग्रेस और भाजपा पार्टीस केजरीवाल जी की आलोचना करते हैं तो इससे भी यही ज्ञात होता है कि केजरीवाल जी में कुछ ना कुछ तो है जो आज देश की सबसे बड़ी दोनों पार्टीस आलोचना कर ,रही हैं या भयभीत हैं अपने भविष्य को लेकर ,वार्ना तो वही पहली बात वार्ना" लोग मरे कुते को भी लात नहीं मारते "
doshi koun
नोएडा के जिस परिवार के साथ शाहजहां पुर अर्ध रात्रि में जाते हुए जो दर्दनाक घटना घाटी क्या ? यदि ये परिवार दिन के उजाले में शाहजहां पुर जाता तो क्या ये दर्दनाक घटना फिर भी घटती या नही,? मैं सभी फेस बुक मित्रों से पूछना चाहता हूँ ,क्या अर्ध रात्रि में नोएडा से शाहजहां पुर जाना और वो भी २ स्त्रयां और एक लड़की को लेकर ,बिना किसी हथियार के और वो भी बुलंदशहर जैसे इलाके से गुजरना जहाँ दिन में भी इस प्रकार के अपराध घटित होते रहते हों ,जरा सोचिये इस सबके हेतु सबसे बड़ा दोषी कौन है ,
सपा सरकार
या पुलिस
अथवा ये जाने वाला परिवार
सपा सरकार
या पुलिस
अथवा ये जाने वाला परिवार
BEVAKOOFI OR AKLMNDEE KA ANTAR
एक बार एक खुले स्कूल में एक मास्टर जी बच्चों को पढ़ा रहे थे तो वो बच्चों को बोले "देखो मै तुमको गधे से आदमी बनाता हूँ "परन्तु तुम फिर भी मुझे मानसम्मान तक नहीं देते ,
ये बात रास्ते में गधे के साथ जाते कुम्हार ने सुनी तो वो मास्टर जी के पास गया और बोला मास्टर जी आप गधों को आदमी बना देते हो कृपया आप मेरे इस गधे को भी आदमी बना दें तो आपकी मेहरबानी होगी ,
अब मास्टर जी समझ गए की इससे निपटना मुश्किल है क्योँकि ये मेरी मतलब ही नहीं समझ सका इसका मतलब निपट बुद्धू है ,तो मास्टर जी ने कहा ,हाँ मैं इसे आदमी बना दूंगा आप इसे स्कूल में छोड़ जाओ
कुम्हार ने कहा की ठीक है पर ये तो बताओ कितना समय लगेगा इसको आदमी बनाने में ,
मास्टर जी बोले ६ महीने तो लग जायेंगे ,आप ६ महीने बाद आकर ले जाना ,
मास्टर जी ने उस गधे को तो बेच खाया
ठीक ६ महीने बाद कुम्हार ,मास्टर जी को बोला मैं जो गधा दे गया था क्या वो आदमी बन गया ,और कहाँ है ?
मास्टर जी बोले भाई वो तो पढ़लिखकर जज बन गया और दिल्ली के बीस हजारी कोर्ट में कमर नंबर २०१४ में लगा हुआ है ,वहां से ले जाना ,
अब कुम्हार की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और जाते जाते जो दो चार सौ रूपये साथ लाया था वो मास्टर जी को गुरु दक्षिणा में दे गया
और अगले दिन बीस हजारी के कमरा नंबर २०१४ में पहुँच गया तो अचम्भे में हो गया क्योँकि एक बड़ी सी मेज के सामने बड़ी सी कुर्सी पर उसका गधा जज बनकर बैठा था ,
परन्तु कुम्हार को ये बड़ा नागवार गुजरा कि सामने खड़ा हुआ देखकर उस गधे जज ने उसे आँख उठाकर देखने के बावजूद भी ना सलाम और नाहीं बैठने तक को कहा ,तो उसे गुस्सा आ गया और बोले
अबे ओ गधे जज तुझे तेरे इस बाप ने एक गधे से जज दिया और आज तू उसी को भूल गया बेशर्म
अब जज ने उसे बड़े गौर से देखा जो बोले जा रहा था ,तो उसने मन ही सोचा की यदि इसे कुछ उल्टा सीधा कहा से पकड़वा दिया तो ,जो सामने खड़े होकर देख रहे हैं वो उसके बारे में क्या सोचेंगे ,और जनता में जजों के प्रति गलत मेसेज जाएगा ,इसलिए उसने कुछ बुद्धि से काम लिया
जज साहब कुर्सी छोड़ कर खड़े हो गए और बोले पिताजी मैंने आपको देखा नहीं था आइये आप मेरे पास बेठिये और मैं चाय पानी मंगवाता हूँ चाय आदि पीकर कुम्हार बहुत खुश हुआ और बोला बेटा ऐसा मास्टर जी ने तुझे क्या पढ़ाया था जो तू निपट गधे से जज बन गया ,
बातों बातों में जज साहब ने गाँव स्कूल के बारे में पूछ लिया और बोले पिताजी अब आप घर चले जाओ और कल को मास्टर जी को साथ लेकर आना मैं उनकी भी सेवा करनी चाहता हूँ
कुम्हार बोला बेटा ठीक है और अगले दिन वो मास्टर जी को लेकर कोर्ट में पहुँच गया ,मास्टर जी को काटो तो खून नहीं क्योँकि मास्टर जी समझ गए कि आज तो इस कुम्हार के बच्चे ने बुरे फंसा दिया ,अब जज तो छोड़ेगा नहीं ,
जज साहब ने जैसे ही मास्टर जी को और कुम्हार पिताजी को देखा तो फिर कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और मास्टर जी को बोले मास्टर जी मेरे पास आओ और अपने चरण आगे बढाओ मैं उनको स्पर्श करना चाहता हूँ आखिर आपने मुझे ६ महीने में ही गधे से जज बनाकर इस कोर्ट में भेज दिया ,आपकी प्रशंसा किन शब्दों में करूँ ,इतने होते ही मास्टर जी जज साहब चरणों में लेट गए और बोले साहब चरण तो मुझे आप अपने स्पर्श करने दो यदि आपो जैसी समझदारी और पेसेंस मुझमे होता तो आज ये नोबत ना आती ,मुझे माफ़ कर दो सर जी ,आइंदा किसी कुम्हार को ऐसी बात नहीउं बोलूंगा , ये नाटक जनता देखकर दंग थी ,तो जज साहब ने मास्टर जी को कहा की अब आप सम्पूर्ण कहानी सबको सूना दो ,और मास्टर जी ने सविस्तार कहानी सूना दी ,
सभी लोग जहाँ मास्टर जी भर्त्सना और कुम्हार की बेवकूफी की चर्चा कर रहे थे वहीँ जज साहब की तारीफों के पुल बाँध रहे रहे थे
के पी चौहान
ये बात रास्ते में गधे के साथ जाते कुम्हार ने सुनी तो वो मास्टर जी के पास गया और बोला मास्टर जी आप गधों को आदमी बना देते हो कृपया आप मेरे इस गधे को भी आदमी बना दें तो आपकी मेहरबानी होगी ,
अब मास्टर जी समझ गए की इससे निपटना मुश्किल है क्योँकि ये मेरी मतलब ही नहीं समझ सका इसका मतलब निपट बुद्धू है ,तो मास्टर जी ने कहा ,हाँ मैं इसे आदमी बना दूंगा आप इसे स्कूल में छोड़ जाओ
कुम्हार ने कहा की ठीक है पर ये तो बताओ कितना समय लगेगा इसको आदमी बनाने में ,
मास्टर जी बोले ६ महीने तो लग जायेंगे ,आप ६ महीने बाद आकर ले जाना ,
मास्टर जी ने उस गधे को तो बेच खाया
ठीक ६ महीने बाद कुम्हार ,मास्टर जी को बोला मैं जो गधा दे गया था क्या वो आदमी बन गया ,और कहाँ है ?
मास्टर जी बोले भाई वो तो पढ़लिखकर जज बन गया और दिल्ली के बीस हजारी कोर्ट में कमर नंबर २०१४ में लगा हुआ है ,वहां से ले जाना ,
अब कुम्हार की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और जाते जाते जो दो चार सौ रूपये साथ लाया था वो मास्टर जी को गुरु दक्षिणा में दे गया
और अगले दिन बीस हजारी के कमरा नंबर २०१४ में पहुँच गया तो अचम्भे में हो गया क्योँकि एक बड़ी सी मेज के सामने बड़ी सी कुर्सी पर उसका गधा जज बनकर बैठा था ,
परन्तु कुम्हार को ये बड़ा नागवार गुजरा कि सामने खड़ा हुआ देखकर उस गधे जज ने उसे आँख उठाकर देखने के बावजूद भी ना सलाम और नाहीं बैठने तक को कहा ,तो उसे गुस्सा आ गया और बोले
अबे ओ गधे जज तुझे तेरे इस बाप ने एक गधे से जज दिया और आज तू उसी को भूल गया बेशर्म
अब जज ने उसे बड़े गौर से देखा जो बोले जा रहा था ,तो उसने मन ही सोचा की यदि इसे कुछ उल्टा सीधा कहा से पकड़वा दिया तो ,जो सामने खड़े होकर देख रहे हैं वो उसके बारे में क्या सोचेंगे ,और जनता में जजों के प्रति गलत मेसेज जाएगा ,इसलिए उसने कुछ बुद्धि से काम लिया
जज साहब कुर्सी छोड़ कर खड़े हो गए और बोले पिताजी मैंने आपको देखा नहीं था आइये आप मेरे पास बेठिये और मैं चाय पानी मंगवाता हूँ चाय आदि पीकर कुम्हार बहुत खुश हुआ और बोला बेटा ऐसा मास्टर जी ने तुझे क्या पढ़ाया था जो तू निपट गधे से जज बन गया ,
बातों बातों में जज साहब ने गाँव स्कूल के बारे में पूछ लिया और बोले पिताजी अब आप घर चले जाओ और कल को मास्टर जी को साथ लेकर आना मैं उनकी भी सेवा करनी चाहता हूँ
कुम्हार बोला बेटा ठीक है और अगले दिन वो मास्टर जी को लेकर कोर्ट में पहुँच गया ,मास्टर जी को काटो तो खून नहीं क्योँकि मास्टर जी समझ गए कि आज तो इस कुम्हार के बच्चे ने बुरे फंसा दिया ,अब जज तो छोड़ेगा नहीं ,
जज साहब ने जैसे ही मास्टर जी को और कुम्हार पिताजी को देखा तो फिर कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और मास्टर जी को बोले मास्टर जी मेरे पास आओ और अपने चरण आगे बढाओ मैं उनको स्पर्श करना चाहता हूँ आखिर आपने मुझे ६ महीने में ही गधे से जज बनाकर इस कोर्ट में भेज दिया ,आपकी प्रशंसा किन शब्दों में करूँ ,इतने होते ही मास्टर जी जज साहब चरणों में लेट गए और बोले साहब चरण तो मुझे आप अपने स्पर्श करने दो यदि आपो जैसी समझदारी और पेसेंस मुझमे होता तो आज ये नोबत ना आती ,मुझे माफ़ कर दो सर जी ,आइंदा किसी कुम्हार को ऐसी बात नहीउं बोलूंगा , ये नाटक जनता देखकर दंग थी ,तो जज साहब ने मास्टर जी को कहा की अब आप सम्पूर्ण कहानी सबको सूना दो ,और मास्टर जी ने सविस्तार कहानी सूना दी ,
सभी लोग जहाँ मास्टर जी भर्त्सना और कुम्हार की बेवकूफी की चर्चा कर रहे थे वहीँ जज साहब की तारीफों के पुल बाँध रहे रहे थे
के पी चौहान
Sunday, July 17, 2016
putriyan
हम लोग उसे
माँ, बहिन ,बेटी
देवी एवं लक्ष्मी
ना जाने क्या क्या कहते हैं
पर पत्नी बनाने के नाम पर
दहेज़ के रूप में
अपना मुंह मांगा मूल्य
ठोक बजाकर
वसूलते हैं
माँ, बहिन ,बेटी
देवी एवं लक्ष्मी
ना जाने क्या क्या कहते हैं
पर पत्नी बनाने के नाम पर
दहेज़ के रूप में
अपना मुंह मांगा मूल्य
ठोक बजाकर
वसूलते हैं
***ताल तालियाँ ***
युग युगन्तरों से
वर्तमान तक
मेरी महत्ता और महत्त्व
बरकरार है
किसी भी ग्राम के
निर्माण से पूर्व
मेरे नाम का
मंथन किया जाता था कि
मुझे किस दिशा में
स्थापित करना है
वास्तुनुसार मेरा
उत्तर पूर्व में दिशा में
निर्माण किया जाता था
मेरे निर्माण से पूर्व
यज्ञ ,पूजा हवन
वरुण देव को
आगमन हेतु
आवाहन किया जाता था
फिर वरुण देव मुझे
अपने रुद्रों से प्लावित कर
बार बार आने का और
प्लावित करने का
भरोसा देकर
गंतव्य को चले जाते हैं
फिर ग्राम देवता भी आकर
मुझे आदेश देता था और
मेरा धर्म कर्म सेवा का
उपदेश देता था
कहता था कि
इस ग्राम और संसार में
जितने भी जलचर ,नभचर
मानव और दानव
कीट पतंग पशु जीवित हैं
उनकी उस आवष्यकता को
जिसके हेतु
भूलोक पर तुमको
स्थान दिया गया है
पूर्ण कर जीवन दान देना है
और मैं अपने उस कर्तव्य
को निरंतर पूर्ण
करता चला आ रहा हूँ
यदि मैं ग्रीष्म में
अपना अस्तित्व खो दूँ तो
ना जाने कितने
असाहय ,निरीह जीव जन्तु
अपने जीवन से
हाथ धो बैठेंगे
यानि कि असमय ही
काल कवलित हो जाएंगे
परन्तु मैं अपने कर्तव्यों की
कदापि अवहेलना नहीं करता
और मरते दम तक
सभी की सेवा शुश्रवा में
लीन रहता हूँ और
अपने नाम के अनुसार
सदैव साफ़ रहता हूँ और
जो भी मेरे सम्पर्क में आता है
उसे भी साफ़ रखने का
भरसक प्रयत्न करता हूँ
अब आप ही बताओ कि
मैं मौन धारण किये हुए
कौन हूँ ।
वर्तमान तक
मेरी महत्ता और महत्त्व
बरकरार है
किसी भी ग्राम के
निर्माण से पूर्व
मेरे नाम का
मंथन किया जाता था कि
मुझे किस दिशा में
स्थापित करना है
वास्तुनुसार मेरा
उत्तर पूर्व में दिशा में
निर्माण किया जाता था
मेरे निर्माण से पूर्व
यज्ञ ,पूजा हवन
वरुण देव को
आगमन हेतु
आवाहन किया जाता था
फिर वरुण देव मुझे
अपने रुद्रों से प्लावित कर
बार बार आने का और
प्लावित करने का
भरोसा देकर
गंतव्य को चले जाते हैं
फिर ग्राम देवता भी आकर
मुझे आदेश देता था और
मेरा धर्म कर्म सेवा का
उपदेश देता था
कहता था कि
इस ग्राम और संसार में
जितने भी जलचर ,नभचर
मानव और दानव
कीट पतंग पशु जीवित हैं
उनकी उस आवष्यकता को
जिसके हेतु
भूलोक पर तुमको
स्थान दिया गया है
पूर्ण कर जीवन दान देना है
और मैं अपने उस कर्तव्य
को निरंतर पूर्ण
करता चला आ रहा हूँ
यदि मैं ग्रीष्म में
अपना अस्तित्व खो दूँ तो
ना जाने कितने
असाहय ,निरीह जीव जन्तु
अपने जीवन से
हाथ धो बैठेंगे
यानि कि असमय ही
काल कवलित हो जाएंगे
परन्तु मैं अपने कर्तव्यों की
कदापि अवहेलना नहीं करता
और मरते दम तक
सभी की सेवा शुश्रवा में
लीन रहता हूँ और
अपने नाम के अनुसार
सदैव साफ़ रहता हूँ और
जो भी मेरे सम्पर्क में आता है
उसे भी साफ़ रखने का
भरसक प्रयत्न करता हूँ
अब आप ही बताओ कि
मैं मौन धारण किये हुए
कौन हूँ ।
कांति प्रकाश चौहान
Friday, July 15, 2016
bhains
एक दिन में
और मेरे पिता श्री
घुमते घुमते
पहुँच गए उस पैंठ में
जहाँ उनकी खरीद फरोख्त
प्रत्येक माह के
अंतिम रविवार को
हुआ करती थी
वहां बहुत सुन्दर सुन्दर
काली काली
अपने अभिभावकों या
पालनहारों के साथ
शायद घूमने या
या अपने रूप स्वरूप का
प्रदर्शन करने अथवा
नया मालिकाना हक़
प्राप्त करने आया करती थी
अचानक पिता श्री को
एक काली कलूटी
नाटी सुखी हुई सी
पर दिल आ गया
और उन्होंने उसका
नया अभिभावक बन्ने का
खिताब पाकर
अपने साथ लेकर
वापसी को प्रस्थान
कर दिया
जब घरोंदे पर पहुंचे तो
माता ने देखते ही
घर सर पर उठा लिया
और लगी पिता श्री को
लानत मलानत देने
पर उन्होंने भी
अपना सर नीचे को कर
जमीन पर गढ़ा दिया ,
वो आयु में
मुझसे बहुत छोटी थी
फिर भी पता नहीं क्यों
उस काली पर
मेरा भी दिल आ गया
पता नहीं क्योँ उससे
मुझे अंदरूनी
प्यार सा हो गया
जहां पर मैं रात्रि में
शयन करता था तो
उसे भी अपनी मंझी के पास
कुछ दूरी पर बसेरा करने हेतु
सहारा दे दिया
धीरे धीरे
वो युवा होने लगी
उसकी देह भी कुछ कुछ
सुडौल और चिकनी होने लगी
ईश्वर जाने कहाँ से
उसकी चाल में भी लोच आ गया
जब वो चलती थी तो
उसकी चाल हिरणी जैसी
लगती थी
परन्तु उसका छरहरा पन
कुछ अलग ही कहानी कहता था
जब भी वो बाहर आती जाती
तो लोग उसे देखकर
आहें भरने लगे
उसके सौंदर्य की
नयी नयी कहानी
गढ़ने लगे
अब वो पूर्ण युवा हो गई
तो शादी के चर्चे होने लगे
फिर पिताश्री ने उसकी शादी
एक काले भुसण्ड
जो उसी की जाति का था
करा दी गयी
पर उसे बिदा ना किया
बल्कि उसके पति को ही
घर से बिदा कर दिया
जब उसके नौ ,दस माह बाद
एक सुन्दर सा
काला काला सा
बच्चे को जन्म दिया ,
उसको इतना दूध
उतरता था की उसका वो बच्चा
और हमारे बच्चे भी उसके
सहारे पलने लगे
उस बेचारी ने
मेरे परिवार के लिये भी
बहुत से उदगार दिए
आज मैं और मेरा परिवार
उसके ऋणी हैं
वो हम सभी के हेतु
देवी भरणी हैं
उसका अहसान
हम कभी भूल नहीं सकते
उसका दूध ही पीकर
मेरे बच्चे भी
आज हट्टे कट्टे
नौ जवान हो गए हैं
और अब तो वो भी
भैंस मौसी के
मुरीद हो गए हैं ।
और मेरे पिता श्री
घुमते घुमते
पहुँच गए उस पैंठ में
जहाँ उनकी खरीद फरोख्त
प्रत्येक माह के
अंतिम रविवार को
हुआ करती थी
वहां बहुत सुन्दर सुन्दर
काली काली
अपने अभिभावकों या
पालनहारों के साथ
शायद घूमने या
या अपने रूप स्वरूप का
प्रदर्शन करने अथवा
नया मालिकाना हक़
प्राप्त करने आया करती थी
अचानक पिता श्री को
एक काली कलूटी
नाटी सुखी हुई सी
पर दिल आ गया
और उन्होंने उसका
नया अभिभावक बन्ने का
खिताब पाकर
अपने साथ लेकर
वापसी को प्रस्थान
कर दिया
जब घरोंदे पर पहुंचे तो
माता ने देखते ही
घर सर पर उठा लिया
और लगी पिता श्री को
लानत मलानत देने
पर उन्होंने भी
अपना सर नीचे को कर
जमीन पर गढ़ा दिया ,
वो आयु में
मुझसे बहुत छोटी थी
फिर भी पता नहीं क्यों
उस काली पर
मेरा भी दिल आ गया
पता नहीं क्योँ उससे
मुझे अंदरूनी
प्यार सा हो गया
जहां पर मैं रात्रि में
शयन करता था तो
उसे भी अपनी मंझी के पास
कुछ दूरी पर बसेरा करने हेतु
सहारा दे दिया
धीरे धीरे
वो युवा होने लगी
उसकी देह भी कुछ कुछ
सुडौल और चिकनी होने लगी
ईश्वर जाने कहाँ से
उसकी चाल में भी लोच आ गया
जब वो चलती थी तो
उसकी चाल हिरणी जैसी
लगती थी
परन्तु उसका छरहरा पन
कुछ अलग ही कहानी कहता था
जब भी वो बाहर आती जाती
तो लोग उसे देखकर
आहें भरने लगे
उसके सौंदर्य की
नयी नयी कहानी
गढ़ने लगे
अब वो पूर्ण युवा हो गई
तो शादी के चर्चे होने लगे
फिर पिताश्री ने उसकी शादी
एक काले भुसण्ड
जो उसी की जाति का था
करा दी गयी
पर उसे बिदा ना किया
बल्कि उसके पति को ही
घर से बिदा कर दिया
जब उसके नौ ,दस माह बाद
एक सुन्दर सा
काला काला सा
बच्चे को जन्म दिया ,
उसको इतना दूध
उतरता था की उसका वो बच्चा
और हमारे बच्चे भी उसके
सहारे पलने लगे
उस बेचारी ने
मेरे परिवार के लिये भी
बहुत से उदगार दिए
आज मैं और मेरा परिवार
उसके ऋणी हैं
वो हम सभी के हेतु
देवी भरणी हैं
उसका अहसान
हम कभी भूल नहीं सकते
उसका दूध ही पीकर
मेरे बच्चे भी
आज हट्टे कट्टे
नौ जवान हो गए हैं
और अब तो वो भी
भैंस मौसी के
मुरीद हो गए हैं ।
Tuesday, July 5, 2016
Sunday, May 15, 2016
DAHEJ WALI BAHU
एक लड़के की सगाई करने वाले आये ,घर में दो ही प्राणी थे ,एक माँ और एक बेटा ,लड़की वालों ने सोचा की चलो छोटा परिवार है लड़की भी खुश रहेगी ,तो उन्होंने लड़के की माँ को पूछा ,आपको कैसी बहु चाहिए ,
तो लड़के की माँ बोली भाई साहब अब लड़की साफ़ सुन्दर पढ़ी लिखी हो बस लड़के को पसंद आ जाये ,और मुझे तो बस खूब सारा दान दहेज़ चाहिए वैसे भी आप अपनी बेटी को सुख देने के लिए सब कुछ ही दोगे ,
बोले ठीक है ,लड़की ,दिखा दो
,लड़की देखि पढिु लिखी सुन्दर ,मॉडर्न सब कुछ ठीक ,लड़के को भी लड़की पसंद आ गई ,और शादी भी हो गई बहुत सारा दान दहेज़ लेकर आई ,उनका पूरा घर भर दिया ,दोनों पक्ष खुश थे
अब लड़की तो बड़े नाजों से पाली थी मन मर्जी से सोती ,सुबह को ९ बज जाते पर वो उठती नहीं अब घर में साफ़ सफाई कौन करे ,सासु तो बुजुर्ग थी ,उनके बास्की कहाँ ,क्या करें माँ बेटा दोनों सोचते क्या करें ,
दो चार दिन मा को झाड़ू लगते देखकर बेटे का दिमाग ख़राब ,करे तो क्या करे ,उसने अपनी माँ को कहा की आज से झाड़ू मैं लगाया करूँगा तुम नहीं ,हो सकता है शर्मा शर्मी उठकर झाड़ू लगाने लगे ,अब सुबह सुबह दोनों माँ बेटा आपस में भिड़ने लगे क़ि आज मैं झाड़ू लगाउंगी ,बेटा कह रहा मैं लगाऊंगा ,शोर होना लगा क्योँकि वो जान बूझकर उसे उठाना चाहते थे ताकि वो उठकर झाड़ू लगाने लगे ,
तभी बहु उठी और दोनों को डाटती हुई बोली की ये क्या मजाक बना रखा है सोने भी नहीं देते ,मेरे नींद ख़राब कर दी ,कल को ऐसा न हो इसलिए दोनों अपने अपने वार ,यानि की दिन बाँट लो की किसने किस दिन झाड़ू लगानी है ,और फिर जाकर सो गई ,अब करें तो क्या करें दहेज़ के बोझ के दबे हुए थे ,तो भाइयो जरा सम्भल के कही ऐसा आप के साथ ऐसा न हो इसलिए जरा सोच समझकर ही दहेज़ की डिमांड करना ।
तो लड़के की माँ बोली भाई साहब अब लड़की साफ़ सुन्दर पढ़ी लिखी हो बस लड़के को पसंद आ जाये ,और मुझे तो बस खूब सारा दान दहेज़ चाहिए वैसे भी आप अपनी बेटी को सुख देने के लिए सब कुछ ही दोगे ,
बोले ठीक है ,लड़की ,दिखा दो
,लड़की देखि पढिु लिखी सुन्दर ,मॉडर्न सब कुछ ठीक ,लड़के को भी लड़की पसंद आ गई ,और शादी भी हो गई बहुत सारा दान दहेज़ लेकर आई ,उनका पूरा घर भर दिया ,दोनों पक्ष खुश थे
अब लड़की तो बड़े नाजों से पाली थी मन मर्जी से सोती ,सुबह को ९ बज जाते पर वो उठती नहीं अब घर में साफ़ सफाई कौन करे ,सासु तो बुजुर्ग थी ,उनके बास्की कहाँ ,क्या करें माँ बेटा दोनों सोचते क्या करें ,
दो चार दिन मा को झाड़ू लगते देखकर बेटे का दिमाग ख़राब ,करे तो क्या करे ,उसने अपनी माँ को कहा की आज से झाड़ू मैं लगाया करूँगा तुम नहीं ,हो सकता है शर्मा शर्मी उठकर झाड़ू लगाने लगे ,अब सुबह सुबह दोनों माँ बेटा आपस में भिड़ने लगे क़ि आज मैं झाड़ू लगाउंगी ,बेटा कह रहा मैं लगाऊंगा ,शोर होना लगा क्योँकि वो जान बूझकर उसे उठाना चाहते थे ताकि वो उठकर झाड़ू लगाने लगे ,
तभी बहु उठी और दोनों को डाटती हुई बोली की ये क्या मजाक बना रखा है सोने भी नहीं देते ,मेरे नींद ख़राब कर दी ,कल को ऐसा न हो इसलिए दोनों अपने अपने वार ,यानि की दिन बाँट लो की किसने किस दिन झाड़ू लगानी है ,और फिर जाकर सो गई ,अब करें तो क्या करें दहेज़ के बोझ के दबे हुए थे ,तो भाइयो जरा सम्भल के कही ऐसा आप के साथ ऐसा न हो इसलिए जरा सोच समझकर ही दहेज़ की डिमांड करना ।
Monday, May 2, 2016
to mitro socho jldee or pristithiyon kin agyanta ka kya hashr hota hai
मित्रो २९ अप्रैल को मेरे साथ एक घटी ,मैं उस दिन रात्रि फार्म हाउस में शादी में गया था ,अचानक मुझे कोई पूर्व परिचित नजर आया ,और मैं वहां की परिस्तिथियों को नजरं अंदाज कर उस व्यक्ति से मिलने हेतु तेजी से भागा ,और वो भी जमीन को देखे बिना , जब कि वहां कुछ केबल्स पड़े हुए थे ,जिनमे मेरा एक पैर अटक गया और जैसे ही सम्भला तो दूसरा पैर भी अटक गया जिसका परिणाम ये हुआ की मैं मुंह के बल जमीन पर गिर गया ,यद्दीपी मुझे वहां खड़े व्यक्तियों ने फटाफट उठा लिया और चोट भी नहीं लगी ,
जैसे ही मुझे कुर्सी पर बिठा दिया तो मैंने कुछ खुसर पुशर सुनी ,कोई कह रहा था ,पी राखी होगी ,तो कोई कह रहा था यार कुछ लोग फ्री का माल समझकर ज्यादा ही पी जाते हैं ,एक कह रहा था यार आदमी तो शरीफ घराने का लगता है ,तो दुसरे ने कहा कि यार आजकल बड़े घराने वाले ही तो ज्यादा पीते हैं ,तो एक बोला यार लड़की की शादी है और वो भी राधा स्वामियों की जिनके यहां दारु का इंतजाम नहीं होता ,दूसरा बोला यार घर से पीकर आया होगा ,
तभी मेरा एक जान्ने वाला भी आ गया तो वो देखकर बोला क्या हो गया चौहान साहब ,तो एक बोला यार इन्होने लगता है ज्यादा पी ली होगी सो गिर गए ,वो बोलम भाई मई इनको बरसों से जानता हूँ ये कभी शररब तो छोडो पानी भी छानकर ही पीते हैं ,
खैर मैंने कहा भाई इनको कहने दो जो भी कह रहे हैं ।
तो मित्रों मेरा कहने तातपर्य ये है की जल्दी का काम शैतान का और परिस्तिथियों को जाने या देखे बिना मुंह ऊपर को ऊंट की तरह चलने का परिणाम आपने देखा और मेरी ज़रा सी गलती के लिए लोगों ने कितनी बातें बना दी ।
इसलिए अब आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है की जो गलतियां मैंने की और उसका खामियाजा भी उठाया ,ऐसी गलतियां आप भविुष्य में ना करें जिसके कारण मेरी तरह आपको भी लज्जित ना होना पड़े और लोगों की बातें भी ना सुन्नी पढ़ें
जैसे ही मुझे कुर्सी पर बिठा दिया तो मैंने कुछ खुसर पुशर सुनी ,कोई कह रहा था ,पी राखी होगी ,तो कोई कह रहा था यार कुछ लोग फ्री का माल समझकर ज्यादा ही पी जाते हैं ,एक कह रहा था यार आदमी तो शरीफ घराने का लगता है ,तो दुसरे ने कहा कि यार आजकल बड़े घराने वाले ही तो ज्यादा पीते हैं ,तो एक बोला यार लड़की की शादी है और वो भी राधा स्वामियों की जिनके यहां दारु का इंतजाम नहीं होता ,दूसरा बोला यार घर से पीकर आया होगा ,
तभी मेरा एक जान्ने वाला भी आ गया तो वो देखकर बोला क्या हो गया चौहान साहब ,तो एक बोला यार इन्होने लगता है ज्यादा पी ली होगी सो गिर गए ,वो बोलम भाई मई इनको बरसों से जानता हूँ ये कभी शररब तो छोडो पानी भी छानकर ही पीते हैं ,
खैर मैंने कहा भाई इनको कहने दो जो भी कह रहे हैं ।
तो मित्रों मेरा कहने तातपर्य ये है की जल्दी का काम शैतान का और परिस्तिथियों को जाने या देखे बिना मुंह ऊपर को ऊंट की तरह चलने का परिणाम आपने देखा और मेरी ज़रा सी गलती के लिए लोगों ने कितनी बातें बना दी ।
इसलिए अब आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है की जो गलतियां मैंने की और उसका खामियाजा भी उठाया ,ऐसी गलतियां आप भविुष्य में ना करें जिसके कारण मेरी तरह आपको भी लज्जित ना होना पड़े और लोगों की बातें भी ना सुन्नी पढ़ें
Saturday, April 23, 2016
dhrm ke naam par
मंदिर ,मस्जिद गुरुद्वारा और चर्च के नाम पर
दुनिया भर के धर्म आपस में लड़ते ,कटते रहे हैं
पता नहीं कितने निरीह इंसान ऊपर जा चुके हैं
पर ये मिटटी सीमेंट के घरोंदे जस के तस खड़े हैं ,
इनके सामने इंसान की कोई मर्यादा भी नहीं है
क्योँकि ये धर्म के नाम पर धर्म स्थल जो बने हैं
इनमे पहुँच कोई पूजा ,कीर्तन ,नमाज,टी चूमे
अंतर नहि आता क्योँकि ये तो बुत बन खड़े हैं ,
जब ये शांति से खड़े ,धुप ,गर्मी मेंह सह रहे हैं
फिर हम इंसान इनसे सबक क्योँ न ले रहे हैं
कभी इनको परस्पर एक दुसरे से लड़ते देखा है
जो हम आज छुरे,तलवार ,बंदूकों से लड़ रहे हैं ,
यदि सत्य में आप इनके अस्तित्व को जानते हैं
और इनके प्रति स्वयं को नत मस्तक मानते हैं
जिस प्रकार ये ,अमर अस्तित्व बना मूक खड़े हैं
ठीक उसी तरह आप जग के शांति देवदूत बने हैं ।
दुनिया भर के धर्म आपस में लड़ते ,कटते रहे हैं
पता नहीं कितने निरीह इंसान ऊपर जा चुके हैं
पर ये मिटटी सीमेंट के घरोंदे जस के तस खड़े हैं ,
इनके सामने इंसान की कोई मर्यादा भी नहीं है
क्योँकि ये धर्म के नाम पर धर्म स्थल जो बने हैं
इनमे पहुँच कोई पूजा ,कीर्तन ,नमाज,टी चूमे
अंतर नहि आता क्योँकि ये तो बुत बन खड़े हैं ,
जब ये शांति से खड़े ,धुप ,गर्मी मेंह सह रहे हैं
फिर हम इंसान इनसे सबक क्योँ न ले रहे हैं
कभी इनको परस्पर एक दुसरे से लड़ते देखा है
जो हम आज छुरे,तलवार ,बंदूकों से लड़ रहे हैं ,
यदि सत्य में आप इनके अस्तित्व को जानते हैं
और इनके प्रति स्वयं को नत मस्तक मानते हैं
जिस प्रकार ये ,अमर अस्तित्व बना मूक खड़े हैं
ठीक उसी तरह आप जग के शांति देवदूत बने हैं ।
Tuesday, March 29, 2016
modi ji ne patki de di kejriwal ji ko
मोदी जी ने आखिर केजरीवाल को पछाड़ ही दिया ,उन्होंने करके दिखा दिया की" तू डाल डाल मैं पात पात "अब देखिये कैसे ।
केजरीवाल जी ने दिल्ली की जनता को कहा की अब से दिल्ली के सभी लोग जिनमे पानी के चोर भी सम्मिलित हैं ,उनको अधिकार दे दिया कि अब अपने पानी के बिल खुद बनाकर जमा करा दें ,अब शरीफ आदमी को तो क्या ,पर चोरों के और पानी को वेस्ट करने वालों के मजे आ गए ,अब चाहें तो कैसा ही बिल बनाकर जमा कर देंगे ,amount और use की कोई बात नहीं
इसी प्रकार अब वो बिजली , वेट आदि सभी प्रकार की जिम्मेदारी दिल्ली की जनता को हो सकता हैं दे दें ,
अब देखिये मोदी जी ने कमाल करके दिखा दिया ,
उन्होंने पाक के आई एस आई को,और उस आई एस आई को जो कि पहले से ही २६[११ कि घटना के लिए दोषी है जिसमे लगभग १६८ लोग शहीद हो गए थे और उसके dosiyrs जो कि quntals में हैं उनको पाकिस्तान ने जड़ दिया था ,उसी पाक की आई एस आई को पठान कोट की घटना की जांच करने की जिम्मेदारी सौंप दी और वो जांच करने आ भी गए ,पूरे ८० घंटे उन्होंने जांच की ,
और उनके प्रवक्ता लंबित पात्र जी के अनुसार वो सबूत देखकर satisfied हो गए हैं और पकिस्तान जाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगे और आतंकवादियों को सजा दिलाएंगे ,
अब इससे प्रेरित होकर हो सकता है की अब देश के सभी क्रिमिनल्स को,और उनके घरवालोिं को कहा जायेगा की आप खुद जांच पड़ताल करके बताएं की क्राइम किसने किया है और उनकी रिपोर्ट के बाद ही उनको दण्डित किया जायेगा ,इससे फायदा होगा की पुलिस को जांच पड़ताल में परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी और नाही जुडिशियरी को ,आखिर जब वो बाहर वालों पर यकीन तो फिर अपने देश वासियों पर क्योँ नहीं ,?
सबसे बड़ी बात तो ये है की केजरीवाल जैसे नेता की नाक भी नीची हो जाएगी और जनता में massage भी अच्छा जायेगा और केजरीवाल जी से ज्यादा जयजयकार मोदी जी की होगी ,और सबसे बड़ा फायदा होगा की अगले सभी criminalस आने वाले चुनावों में मोदी जी के नाम पर ही वोट देंगे ,
देखा आपने हमारे प्रधानमंत्री जी का धोबी पाट ,इसे कहते है" एक तीर से कई शिकार "
केजरीवाल जी ने दिल्ली की जनता को कहा की अब से दिल्ली के सभी लोग जिनमे पानी के चोर भी सम्मिलित हैं ,उनको अधिकार दे दिया कि अब अपने पानी के बिल खुद बनाकर जमा करा दें ,अब शरीफ आदमी को तो क्या ,पर चोरों के और पानी को वेस्ट करने वालों के मजे आ गए ,अब चाहें तो कैसा ही बिल बनाकर जमा कर देंगे ,amount और use की कोई बात नहीं
इसी प्रकार अब वो बिजली , वेट आदि सभी प्रकार की जिम्मेदारी दिल्ली की जनता को हो सकता हैं दे दें ,
अब देखिये मोदी जी ने कमाल करके दिखा दिया ,
उन्होंने पाक के आई एस आई को,और उस आई एस आई को जो कि पहले से ही २६[११ कि घटना के लिए दोषी है जिसमे लगभग १६८ लोग शहीद हो गए थे और उसके dosiyrs जो कि quntals में हैं उनको पाकिस्तान ने जड़ दिया था ,उसी पाक की आई एस आई को पठान कोट की घटना की जांच करने की जिम्मेदारी सौंप दी और वो जांच करने आ भी गए ,पूरे ८० घंटे उन्होंने जांच की ,
और उनके प्रवक्ता लंबित पात्र जी के अनुसार वो सबूत देखकर satisfied हो गए हैं और पकिस्तान जाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगे और आतंकवादियों को सजा दिलाएंगे ,
अब इससे प्रेरित होकर हो सकता है की अब देश के सभी क्रिमिनल्स को,और उनके घरवालोिं को कहा जायेगा की आप खुद जांच पड़ताल करके बताएं की क्राइम किसने किया है और उनकी रिपोर्ट के बाद ही उनको दण्डित किया जायेगा ,इससे फायदा होगा की पुलिस को जांच पड़ताल में परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी और नाही जुडिशियरी को ,आखिर जब वो बाहर वालों पर यकीन तो फिर अपने देश वासियों पर क्योँ नहीं ,?
सबसे बड़ी बात तो ये है की केजरीवाल जैसे नेता की नाक भी नीची हो जाएगी और जनता में massage भी अच्छा जायेगा और केजरीवाल जी से ज्यादा जयजयकार मोदी जी की होगी ,और सबसे बड़ा फायदा होगा की अगले सभी criminalस आने वाले चुनावों में मोदी जी के नाम पर ही वोट देंगे ,
देखा आपने हमारे प्रधानमंत्री जी का धोबी पाट ,इसे कहते है" एक तीर से कई शिकार "
Sunday, March 20, 2016
KUKURMUTTE
हमारे गाँव में
घरों की छान पे
बे मौसम बरसात में
कुकुरमुत्ते उग आते हैं ,
अंदर से विषैले और
ऊपर से सुन्दर होते हैं
नाही उन्हें खा पाते हैं
और नाहीं संभाल पाते हैं ,
इसी प्रकार से
चुनावी मौसम में
कुछ कुकुरमुत्ते सम
महानुभाव भी
संसद में प्रवेश पा जाते हैं ,
उस वक्त वो शपथ लेते हैं
सविधान के अनुसार
सर्व धर्मों का पालन कर
अपने धर्म का पालन करेंगे ,
जो भी न्याय संवत होगा
वो ही सबकुछ
जनता को ध्यान में रख
किर्यान्वित किया करेंगे।
फिर एक दिन अंदर का विष
सम्पूर्ण जनता में फैलाते हैं
कहते हैं भारत हमारा है
पर" जय भारत माता नहीं कहेंगे" ।
घरों की छान पे
बे मौसम बरसात में
कुकुरमुत्ते उग आते हैं ,
अंदर से विषैले और
ऊपर से सुन्दर होते हैं
नाही उन्हें खा पाते हैं
और नाहीं संभाल पाते हैं ,
इसी प्रकार से
चुनावी मौसम में
कुछ कुकुरमुत्ते सम
महानुभाव भी
संसद में प्रवेश पा जाते हैं ,
उस वक्त वो शपथ लेते हैं
सविधान के अनुसार
सर्व धर्मों का पालन कर
अपने धर्म का पालन करेंगे ,
जो भी न्याय संवत होगा
वो ही सबकुछ
जनता को ध्यान में रख
किर्यान्वित किया करेंगे।
फिर एक दिन अंदर का विष
सम्पूर्ण जनता में फैलाते हैं
कहते हैं भारत हमारा है
पर" जय भारत माता नहीं कहेंगे" ।
Friday, March 18, 2016
Thursday, March 17, 2016
stybhashi
सत्य बोलने के प्रण की पोटली को बांधकर
कब तक दर दर भटकता रहूंगा ,
जिस दफ्तर ,जिस न्यायालय में जाऊंंगा
यदि सत्य बोला तो कुछ भी ना कर सकूंगा ,
पुलिस वाला कहता है ऐसा नहीं ऐसा बोलो
तो तभी मै आपकी रिपोर्ट को लिखूंगा ,
बैंक वाला कहता है लाख को दो लाख बोलो
तो मैं आपका लोन सेंक्शन करूंगा ,
मालिक कहता है कि सत्य बोलोगे तो
मै अपनी सेवाओं से तुमको वंचित कर दूंगा
यदि यही हाल रहा तो मैं एक दिन ,
आत्महत्या कर संसार से विदाई ले लूंगा
पर चाहे दुनिया कहे कि मैं सत्य छोड़ दूँ
पर मई सत्य को कभी भी छोड़ ना सकूंगा ।
कब तक दर दर भटकता रहूंगा ,
जिस दफ्तर ,जिस न्यायालय में जाऊंंगा
यदि सत्य बोला तो कुछ भी ना कर सकूंगा ,
पुलिस वाला कहता है ऐसा नहीं ऐसा बोलो
तो तभी मै आपकी रिपोर्ट को लिखूंगा ,
बैंक वाला कहता है लाख को दो लाख बोलो
तो मैं आपका लोन सेंक्शन करूंगा ,
मालिक कहता है कि सत्य बोलोगे तो
मै अपनी सेवाओं से तुमको वंचित कर दूंगा
यदि यही हाल रहा तो मैं एक दिन ,
आत्महत्या कर संसार से विदाई ले लूंगा
पर चाहे दुनिया कहे कि मैं सत्य छोड़ दूँ
पर मई सत्य को कभी भी छोड़ ना सकूंगा ।
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